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एकविंशतितमः सर्गः
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मोदमित्यादिइस राजा गोपानां निलयान् गृहान् स्वेनात्मना संहितान् समानान् वीक्ष्य मोदमाप । कीदृशांस्तानिति चेत् ? महिषीभिर्नाम रक्ताक्षाभिः पट्टराज्ञीभिर्वा मनोहरान्, मातृणां धेनूनां पक्षे मातुर्भुवः सारेण खचिता संरब्धा या क्रिया तत्र परान् संलग्नान्, स्फुरतां स्फूर्तिमाप्तानां धवलानां वृषभाणां धामभिः स्थानैर्मण्डितान् युक्तान् पक्षे स्फुरद्भिर्धवलेर्धामभिर्मण्डितान् ॥५०॥
भूरिशोभिनवनीतिचेष्टिताद् गोकुलाद्धितमधात् प्रजापिता । आत्मवत् सदधिकारवाञ्छितादेवमेव गुणितक्रमाञ्चितात् ॥ ५१ ॥ भूरीत्यादि - - स प्रजापिताऽऽत्मनो यथाऽऽत्मवदेव गोकुलाद्धितमधात् स्वीचकार ! कीदृशात्तस्माच्चेत् ? भूरिशोभा यस्य तन्नवनीतं नवोद्धृतं तद्वच्चेष्टितं यत्र तस्मात्, पक्षे भूरिशोऽनेकप्रकारतोऽभिनवा नूतना स्तुतियोग्या वा नीतिस्तस्याश्चेष्टितं यत्र तस्मात् । दध्ना सहितः कारो यत्नः सदधिकारस्तस्य पक्षे समीचीनोऽधिकारस्तस्य वाञ्छितं यत्र तस्मात् । गुणिनो गुणयुक्तस्य तक्रस्योदश्वितो भया शोभयाऽथवा गुणितेन क्रमेण नीतिपथेनाचिताद्युक्तादित्युपमा । 'कारश्च यतियत्नयो:' इति विश्वलोचने ॥५१॥
घोषकोलपलसत्कुटोरकप्रान्तमेवमवलम्ब्य
बहुना । वल्लवा नृपवरं सविस्मयं लोलयाथ ददृशुर्दृशाऽधुना ॥५२॥
अर्थ - राजा जयकुमार अपने घरोंकी समानता रखने वाले ग्वालोंके घरोंको देखकर हर्षको प्राप्त हुए थे। दोनों पक्षों में विशेषणोंकी अर्थ योजना इस प्रकार है— गोपनिलय - अहीरोंके घर महिषियों- भैसोंसे मनोहर थे और राजभवन महिषियों- पट्टरानियोंसे मनोहर थे । गोपनिलय - गायोंकी सारभूत क्रियाओंलिम्पन - दोहन आदि क्रियाओंमें तत्पर थे और राजभवन पृथिवी सम्बन्धी श्रेष्ठ क्रियाओंकी सँभाल में तत्पर थे । गोपनिलय - सुशोभित बैलोंके स्थानसे मण्डित थे और राजभवन देदीप्यमान सफेद मकानोंसे मण्डित थे ॥५०॥
अर्थ - राजा जयकुमारने अपनी समानतासे युक्त गोकुलसे हितको स्वीकृत किया था । गोकुल और राजाके पक्षमें विशेषणोंकी अर्थयोजना इस प्रकार हैभूरिशोभिनवनी तिचेष्टितात्- गोकुलकी क्रियाएँ अत्यन्त शोभायमान मक्खनसे युक्त थीं, अर्थात् ताजा-ताजा मक्खन निकाला जा रहा था और राजा भूरिशोभिनवनी तिचेष्टितात्- अनेक प्रकारको नई नीतियोंकी चेष्टाओंसे युक्त था, अर्थात् वहाँ नवीन-नवीन नीतियों पर विचार होता था । गोकुल सदधिकारवाञ्छितात्दहीविषयक प्रयत्नोंकी इच्छासे सहित था; अर्थात् वहाँ दही विषयकचर्चा होती थी और राजा सदधिकारवाञ्छितात् समीचीन अधिकारोंकी वाञ्छासे सहित था ॥ ५१ ॥
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