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महावीर वाणी
( २७२ )
न य वुग्गहियं कहूं कहिज्जा,
१४८
न य कुप्पे निहुइन्दिए पसन्ते ।
संजमधुवजोगजुत्ते,
उवसंते अडिए जे स भिक्खू ||४||
जो सहइ हु गामकंटए,
अक्कोस -- पहार - तज्जरणाओ य ।
( २७३ )
भय-भैरव-सह-- सप्पहासे,
समसुह - दुक्खसहे जे स भिक्खू ||५|| ( २७४ )
अभिभूय कारण परिसहाई, समुद्धरे जाइपहाउ अप्पयं ।
विइत्तु जाई - मरणं महब्भयं,
हत्थ संजए
तवे रए सामणिए जे स भिक्खू ||६||
वायसंजए
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( २७५ )
पायसंजए,
संनइन्दिए ।
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