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| जिनवाणी
||15,17 नवम्बर 2006|| अधिक नहीं १०. अव्याविद्धाक्षर- उलटे-सुलटे अक्षरों का प्रयोग नहीं। बिखरे रत्नों की तरह नहीं, माला के समान ११. अस्खलित- पत्थर आने पर हलवत् रुकता-रुकता नहीं बोले, १२. अमिलित- दूसरे समान पदों को, दूसरे शास्त्र के पदों से मिलाना नहीं १३. अव्यत्यामेडित- अस्थान में विराम रहित १४. प्रतिपूर्ण- अधिक अक्षर, हीनाक्षर न होने से प्रतिपूर्ण १५. प्रतिपूर्ण घोष- गुरुवत् उदात्त आदि घोषों से सहित १६. कण्ठोट्ठ विमुक्कं- कण्ठ और होठ से बाहर निकला हुआ १७. वाचनोपगत- वाचना, पृच्छना, परिवर्तना, धर्मकथा से पाया हुआ।
इतना होते हुए भी बिना उपयोग के भावशून्य होने के कारण द्रव्य प्रतिक्रमण कहा जाता है।
तो क्या बिना उपयोग के प्रतिक्रमण करने पर लाभ नहीं होता? होता है, बिना पथ्य की औषधि के समान, कम होता है। लेकिन जितनी देर प्रतिक्रमण करेगा, उतने समय तक पापों से विरति रहेगी। इसके साथ द्रव्य भाव का कारण है। पता नहीं कब भावना जग जाय, विरति आ जाय और वैराग्य जगाकर क्षण-पल में पापमल नष्ट कर दे। अतः भावना का प्रयास करें, किन्तु द्रव्य से करना भी छोड़ें नहीं। भावना का अर्थ करते हुए कहा गया है
"जण्णं इमे समणे वा समणी वा सावओ वा साविया वा तच्चिते तम्मणे तल्लेस्से तदज्झवसिए तत्तिव्वज्झवसाणे तदट्ठोवउत्ते तदप्पियकरणे तव्भावणाभाविए अण्णत्थ कत्थई मणं अकरेमाणे उभओ कालं आवरसयं करेंति से तं लोगुत्तरियं भावावस्सयं ।' -अनुयोगद्वार सूत्र ।
'तत् चित्त' से यहाँ चित्त शब्द सामान्य उपयोग के अर्थ में है- अंग्रेजी में इसे Attention (अटेंशन- उसका उपयोग उसमें लगाना) कहा जा सकता है। 'तन्मन' से यहाँ मन शब्द विशेष उपयोग के अर्थ में है, अंग्रेजी में इसे Interest (इन्ट्रेस्ट- रुचि) कहा जा सकता है। 'तल्लेश्या' से यहाँ लेश्या शब्द उपयोग बिशुद्धि के अर्थ में है, अंग्रेजी में इसे Desire (डिजायर-इच्छा) कहा जा सकता है। तदध्यवसाय से यहाँ विशुद्धि का चिह्न भाषित स्वर है अर्थात् जैसा भाव वैसा ही भाषित स्वर है। यह उपयोग की विशुद्धि का सूचक है! जैसा स्वर वैसा ही ध्यान जब होने लगता है, तब उसे तदध्यवसाय कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे Will (विल- आत्मबल/अंतरंगशक्ति या लगन) कहा जा सकता है। वही ध्यान जब तीव्र बन जाता है तब उसे 'तत्तिव्वज्झवसाणे' कहा जाता है, अंग्रेजी शब्द Power of imagination (पावर ऑफ इमेजिनेशन- कल्पना शक्ति) को समकक्ष कहा जा सकता है। 'तट्ठोवउत्ते' अर्थात् उसी के अर्थ में प्रयुक्त। इसे अंग्रेजी में Visualisation (विजुएलाइजेशन-दृष्टिकोण/दूरदृष्टि) कहा जा सकता है। तत्पश्चात् 'तदप्पियकरणे' अर्थात् जिसमें सभी करण उसी के विषय में अर्पित कर दिये हैं। अंग्रेजी में इसे Identification (आइडेन्टीफिकेशन- उससे साक्षात्कार करना) कहा जा सकता है। अन्त में 'तब्भावणभाविए' अर्थात् उसी की ही भावना से भावित होना जिसे अंग्रेजी में Complete Absorption (कम्पलीट एब्जोर्पशन- सम्पूर्ण रूप से ग्रहण करना) कहा जा सकता है।
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