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जिनवाणी
15, 17 नवम्बर 2006
१. तेनाहडे - चोर की चुराई वस्तु लेना । इससे चोर को चोरी करने हेतु प्रोत्साहन मिलता है, वह पुनः चोरी करता है । चुराई वस्तु खरीदना कानून की दृष्टि से दण्डनीय अपराध है।
२. तक्करप्पओगे - चोर को सहायता करना । चोरी करने के तरीके बताना, चोरी करने के साधन उपलब्ध कराना, 'सब चोरी को प्रोत्साहित करते हैं अतः अतिचार है ।
३. विरुद्धरज्जाइकम्मे राज्य विरुद्ध कार्य करना । सरकारी नियमों का उल्लंघन करना, जैसे- टेंक्स नहीं निषिद्ध वस्तुओं का व्यापार करना आदि। यह चोरी का ही एक प्रकार है, लेकिन ५ प्रकार की मोटी चोरी नहीं होने से अतिचार है।
चुकाना,
४. कूडतुल्लकूडमाणे- कूडा तोल - माप करना । माप-तोल में कम अधिक करना अनैतिक व दण्डनीय अपराध है । चोरी को प्रोत्साहित करने से अतिचार है।
५. तप्पडिरूवग्गवहारे- वस्तु में मिलावट करना। अधिक लाभ के लोभ में अच्छी वस्तु में हल्की वस्तु मिलाकर देना चोरी का ही एक प्रकार है। इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। कानून की दृष्टि से यह दण्डनीय अपराध है, अतः अतिचार है ।
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चौथा अणुव्रत- थूलाओ मेहुणाओ वेरमणं - परस्त्री का त्याग और स्वस्त्री की मर्यादा। इस अणुव्रत के पाँच अतिचार निम्न हैं
१. इत्तरियपरिग्गहियागमणे- भोग योग्य उम्र से कम उम्र में अपनी परिणीता स्त्री के साथ भोग का सेवन शारीरिक, मानसिक व धार्मिक दृष्टि से दोष पूर्ण है, अतः यह अतिचार है।
२. अपरिग्गहियागमणे - जिसके साथ सगाई हुई है, अभी तक शादी नहीं हुई है उसके साथ समागम करना दोष होने से अतिचार है, क्योंकि सगाई होने मात्र से वह पत्नी नहीं बन जाती, सगाई टूट भी सकती है।
३. अनंगकीडाकरणे- काम भोग के योग्य अंगों के अलावा बाकी अंगों से या वस्तुओं से क्रीड़ा करना
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विक्षिप्त दशा का प्रतीक होने से अतिचार है।
४.. परविवाहकरणे- अपने आश्रितों के अलावा अन्य का विवाह सम्बन्ध कराना, भोगों की अनुमोदना होने से अतिचार है। सम्बन्धों में दरार पड़ने या टूटने पर करवाने वाले को तकलीफ उठानी पड़ती है।
५. कामभोगतिव्वाभिलासे- भोगों की तीव्र अभिलाषा करना । कामोत्तेजक साहित्य पढ़ना, ऐसे चलचित्र देखना, कामवर्धक औषधियों का सेवन करना आदि इसके प्रकार हैं जो व्रत को दूषित करते हैं, अतः अतिचार है।
पाँचवा अणुव्रत- थूलाओ परिग्गहाओ वेरमणं ९ प्रकार के परिग्रह की नियत मर्यादा के अलावा बाकी परिग्रह का त्याग करना । इस अणुव्रत के ५ अतिचार निम्न हैं
१. खेत्तवत्थुप्पमाणाइक्कमे - खेत = भूमि, वत्थु = मकान । इनकी जितनी मर्यादा रखी है उससे अधिक रखने
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