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||15,17 नवम्बर 2006||
जिनवाणी
129 २१. 'करेमि भंते सूत्र' २२. इच्छामि ठामि सूत्र २३. पाक्षिक सूत्र २४. लोगस्स सूत्र २५. एक खमासमणपूर्वक भूमि पर मस्तक झुकाकर वन्दन करना थोभवन्दन है। २६. खरतरगच्छ की वर्तमान परम्परा में पाक्षिक प्रतिक्रमण के दिन 'श्रुतदेवता' के स्थान पर 'कमलदल विपुल', 'भुवन देवता' के
स्थान पर 'ज्ञानादि गुणयुक्तानां' क्षेत्रदेवता के स्थान पर 'यस्या क्षेत्रं' की स्तुति बोलते हैं तथा तपागच्छ की वर्तमान परम्परा ___में श्रुतदेवता के स्थान पर ‘ज्ञानादि गुणयुक्तानां' क्षेत्र देवता के स्थान पर 'यस्यां क्षेत्रं' की स्तुति बोलते हैं। २७. वर्तमान में इस स्थान पर 'श्री सेढीतटिनी तटे' नामक पार्श्वनाथ स्तोत्र बोलते हैं। २८. णमोत्थुणं सूत्र . २९. उवसग्गहर स्तोत्र ३०. वर्तमान में इस स्थान पर 'बृहद् स्तवन' बोलते है। ३१. णमोत्थुणं सूत्र ३२. करेमि भंते सूत्र ३३. इच्छामि ठामि सूत्र ३४. लोगस्स सूत्र ३५. पुक्खरवरदी सूत्र ३६. सिद्धाणं-बुद्धाणं सूत्र ३७. इच्छामि ठामि सूत्र ३८. यहाँ ध्यान देने योग्य है कि मुखवस्त्रिका प्रतिलेखन के बाद और प्रत्याख्यान ग्रहण करने के पूर्व खरतरगच्छ की वर्तमान
परम्परा में 'सद्भक्त्या' नामक तीर्थ वंदना स्तोत्र और तपागच्छ परम्परा में 'सकलतीर्थवन्दूं कर जोड़' स्तोत्र बोलते हैं। ३९. यहाँ पर खरतरगच्छ की वर्तमान परम्परा में साधु, साध्वी एवं श्रावक वर्ग द्वारा 'परसमयतिमिर' स्तुति की तीन गाथा और
श्राविका वर्ग द्वारा ‘संसारदावानल' स्तुति की तीन गाथा बोली जाती है तथा तपागच्छ परम्परा में साधु-श्रावक 'विशाललोचनं' स्तुति की तीन गाथा और साध्वीजी एवं श्राविकाएँ 'संसारदावानल' स्तुति की तीन गाथा बोलते हैं।
-ओ.टी.सी. स्कीम, उदयपुर (राज.)
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