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________________ ४३०/साध्वी प्रीतिदर्शनाश्री राजनीति पंथनिरपेक्ष या सम्प्रदाय निरपेक्ष होना चाहिए किन्तु धर्मनिरपेक्ष नहीं। राजनीति राष्ट्र की व्यवस्था करने के लिए है और धर्म का नैतिक पक्ष व्यवस्था के विशुद्धिकरण के लिए हैं। अतः राजनीति को धर्म के नैतिक अथवा चरित्र पक्ष से प्रभावित होना चाहिए किंतु. उपासना पक्ष या साम्प्रदायिक पक्ष से अलग रहना चाहिए। इस प्रकार धर्म का राजनीति के साथ सम्बन्ध है भी और नहीं भी, यह अनेकान्त दृष्टिकोण ही राजनीति और धर्म के सम्बन्ध की समस्या का समाधान हो सकता है। चिन्तन, चरित्र और व्यवहार में आदर्श का समावेश करने के लिए धर्म के नैतिक पक्ष को राजनीति का एक अविच्छिन्न अंग माना जाना चाहिए। महात्मा गांधी ने कहा- “अहिंसा और सत्य राजनीति का आधार होना चाहिए। उन्होंने लिखा- "हमें सत्य और अहिंसा को केवल व्यक्तिगत आचरण का विषय नहीं, बल्कि समूहों, समाजों और राष्ट्रों के व्यवहार की चीज भी बनाना होगा। कम से कम मेरा स्वप्न तो यही हैं। अहिंसा आत्मा का गुण है और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सभी को उसका पालन करना चाहिए।"६६ वर्तमान की अपेक्षा है राजनीति के धर्म की एक आचार संहिता निर्मित की जाए। आचार्य तुलसी ने अणुव्रत की आचार संहिता जो निर्मित की है उससे राजनीति के धर्म की आचारसंहिता की पूर्ति की जा सकती हैं। अणुव्रत की आचार संहिता का वर्णन आचार्य महाप्रज्ञ ने 'लोकतंत्र नया व्यक्तित्त्व नया समाज' के अन्तर्गत किया है। जो इस प्रकार है मैं किसी भी निरपराध प्राणी का संकल्पपूर्वक वध नहीं करूंगा। योगशास्त्र में भी हेमचन्द्र ने यही संदेश दिया है 'निरागस्त्रसजंतूनां हिंसा संकल्पतस्त्यजेत्।' .. मैं आक्रमण नहीं करूंगा। (अ) आक्रमण नीति का समर्थन नहीं करुंगा। (ब) विश्वशांति तथा निःशस्त्रीकरण के लिए प्रयत्न करूंगा। मैं हिंसात्मक एवं तोड़फोड़ मूलक प्रवृत्तियों में भाग नहीं लूंगा। ___ मैं मान । एकता में विश्वास करूंगा अर्थात जाति रंग आदि के आधार पर किसी को ऊँच-नीच नहीं मानूंगा। ७६६. लोकतंत्र : नया व्यक्ति नया समाज- आचार्य श्री महाप्रज्ञ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002747
Book TitleYashovijayji ka Adhyatmavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPreetidarshanashreeji
PublisherRajendrasuri Jain Granthmala
Publication Year2009
Total Pages460
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size19 MB
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