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________________ १० जैन योग है । उपयुक्त श्रम और निष्ठा के अभाव में एक विद्यार्थी बौद्धिक पाठ्यक्रम की परीक्षाओं में भी अनुत्तीर्ण हो जाता है । वैसे ही इस साधनाक्रम में होता है । उत्तीर्ण होने वालों की योग्यता समान नहीं होती। वैसे ही इसमें भी होता है । अतः अपनी खोज की सामान्य पद्धति और उसके परिणाम के विषय में संदेह करने की अपेक्षा नहीं है । एक लम्बी अवधि से यह माना जाता रहा है कि 'अपनी खोज' की आवश्यकता मुनिगण को है, गृहस्थ के लिए आवश्यक नहीं है | धर्म की ज्योति क्रियाकांड की राख से आच्छन्न हो गई, तब यह विचार पनपा था । वर्तमान युग की बौद्धिक और वैज्ञानिक धारणाओं इसकी जड़ को हिला दिया है । आज यह माना जाने लगा है कि हर व्यक्ति को योगी बनने की जरूरत है, जो शांति और संतुलनपूर्वक जीवन चलाना चाहता है और जो जीवन की प्रत्येक अपेक्षा को पूर्ण करता है पर उसके भार से दबना नहीं चाहता । अपनी खोज में प्रवृत्त होने वाला जीवन की अपेक्षाओं से विमुख नहीं होता । शरीर साधना का अनिवार्य या प्रथम साधन है । उसकी उपेक्षा कैसे की जा सकती है । शरीर की उपेक्षा नहीं की जा सकती, तब उसकी सहायक साधन-सामग्री की उपेक्षा कैसे की जा सकती है । साधना काल में साधनों की उपेक्षा नहीं होती, किंतु उनके मूल्यांकन का दृष्टिकोण परिवर्तित हो जाता है । " जिसका दृष्टिकोण सम्यक् होता है उसके लिए जो आस्रव (बंधन के हेतु) हैं, परिश्रव (मोक्ष के हेतु) हो जातें हैं । जिसका दृष्टिकोण मिथ्या होता है उसके लिए परिश्रव आस्रव हो जाते हैं ।" दृष्टिकोण के समीचीन होने पर शरीर और उसकी पोषक सामग्री साधना का अंग बन जाती है । उसकी असमीचीनता में वह बाधक बन जाती है । साधना के प्रति दृष्टिकोण स्थिर नहीं होता । उस स्थिति में देह के प्रति आसक्ति होती है, भोजन के प्रति आसक्ति होती है । शरीर और भोजन के प्रति आसक्ति होना न स्वाभाविक है और न अनिवार्य है । उनकी यथार्थता को न समझने के कारण वह होती है । अपनी खोज का आरंभ है यथार्थता का बोध, सत्य की साक्षात् अनुभूति । जिस वस्तु का जो मूल्य है, उसे विघटित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002746
Book TitleJain Yog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2000
Total Pages242
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Yoga
File Size10 MB
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