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साधना की भूमिकाएं - ९१ बाह्य पदार्थों से होने वाले सुख की अपेक्षा तेजोलेश्या से होने वाला सुख बहुत प्रचुर है । विद्युत् में केवल गर्मी पैदा करने की ही शक्ति नहीं होती, उसमें ठंडक की भी शक्ति होती है । तेजोलेश्या की ठंडक भी इतनी सुखद होती है कि जिसकी कल्पना करना भी कठिन होता है |
तेजोलेश्या के प्रकट होने पर सुख का नया आयाम खुल जाता है । अंतर्दृष्टि के जागने पर ध्यान की धारा भी बदल जाती है ।
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