________________
साधना की भूमिकाएं - ८९ आने प्रारंभ होंगे, विचार अच्छे बनेंगे, बुरे विचार नष्ट हो जाएंगे और आदतें स्वतः परिवर्तित हो जाएंगी, स्वभाव बदल जाएगा । तेजोलेश्या : जागृति के साधन
तेजोलेश्या को जागृत करने के तीन साधन हैं-उपवास, दीर्घश्वास और आतापना | महावीर ने आतापना को बहुत महत्त्व दिया । वे स्वयं इसका प्रयोग करते थे। यह तेजोलेश्या को विकसित करने का सशक्त माध्यम है । यह अध्यात्म की नींव का पहला पत्थर है । जब तक तेजोलेश्या का जागरण नहीं होगा, तब तक दूसरी शक्तियों का विकास नहीं होगा । ___इस सत्य को आज के वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया है । सूर्य की ऊर्जा जीवनी-शक्ति है । सूर्य-रश्मियों से प्राप्त शक्ति से अनेक कार्य संपन्न होते हैं । सूर्य का प्रकाश केवल मनुष्य, वनस्पति या अन्य प्राणियों को ही जीवनी-शक्ति नहीं देता, किंतु वह स्वयं एक खाद्य है । इस सिद्धांत पर पर्याप्त चर्चाएं चलीं । उस समय यह सिद्धांत मान्य नहीं हुआ। किंतु आज यह सिद्धांत सम्मत हो चुका है । इसके आधार पर अनेक प्रयोग हुए हैं ।
एक बार चूहों को अपर्याप्त भोजन पर रखा गया । वे सूखने लगे । उनका शरीर क्षीण होने लगा । तब उनको धूप में रखा गया । अब शरीरपोषण के जिन तत्त्वों की कमी थी वह पूरी हो गई । चूहे पुनः पुष्ट हो गए । फिर उनको ठंड में रखा गया और पूरा खाद्य दिया गया । वे उतने पुष्ट नहीं हुए जितने धूप में हुए थे | इसका निष्कर्ष यह निकाला गया कि भोजन से . जो तत्त्व प्राप्त होते हैं, धूप से उनसे अधिक तत्त्व मिलते हैं। ___भोजन पर प्रयोग किया गया । उसे दो घंटा धूप में रखने पर उसकी विद्युत् बढ़ गई।
यह स्पष्ट है कि सूर्य से शक्ति प्राप्त होती है । तैजस शरीर को भी सूर्य का तैजस चाहिए, धूप की शक्ति चाहिए ।
बहुत खाने वालों को अजीर्ण होता है । वह दिन में कम, परंतु रात . में ज्यादा होता है। जब तक सूर्य का ताप है तब तक पाचन-शक्ति बलवान् रहती है । वह प्राप्त भोजन को पचाने में लग जाती है । जब सूर्य का प्रकाश
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org