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रत्नाकरावतारिका में बौद्ध दर्शन के विविधि मंतव्यों की समीक्षा
विषय-सूची विषयानुक्रमणिका
अध्याय 1 जैन-दर्शन एवं न्याय-शास्त्र की विकास यात्रा
भारतीय-दर्शनों में जैन-दर्शन का स्थान या वैशिष्ट्य पं. सुखलालजी द्वारा प्रस्तुत जैन-दर्शन के विकास के तीन युग
(अ) दर्शनों के सूत्र-ग्रन्थों का युग (ब) अनेकान्तस्थापन-युग
(स) न्याय-युग पं. दलसुखभाई द्वारा प्रस्तुत जैन-दार्शनिक-साहित्य के चार युग (अ) आगम-युग (ब) अनेकान्त व्यवस्था-युग (स) प्रमाण-व्यवस्था-युग
(द) नव्यन्याय-युग जैन-न्याय की विकास यात्रा में बौद्ध-दार्शनिक-मतों की समीक्षा सिद्धसेनकृत सन्मतितर्क और न्यायावतार में बौद्ध-दर्शन की समीक्षा मल्लवादिकृत-द्वादशार नयचक्र और बौद्ध-दार्शनिक-मतों की समीक्षा तत्त्वार्थ-सूत्र की टीकाओं में बौद्ध-दर्शन की समीक्षा समन्तभद्र की आप्त-मीमांसा और बौद्ध-दार्शनिक-मतों की समीक्षा हरिभद्रकृत दार्शनिक-ग्रन्थों में बौद्ध-दर्शन अकलंक के जैन-दर्शन संबंधी ग्रन्थ और उनमें बौद्ध- दार्शनिक-मतों की समीक्षा विद्यानन्दी के जैन-दर्शन संबंधी ग्रन्थों, बौद्ध-मन्तव्यों की समीक्षा वादिराजसूरि एवं उनका न्याय विनिश्चय विवरण प्रभाचन्द्रकृत प्रमेयकमलमार्तण्ड में बौद्ध-दर्शन की समीक्षा हेमचन्द्रकृत अन्ययोगव्यवच्छेदिका तथा प्रमाण-मीमांसा में बौद्ध-मतों की समीक्षा मल्लिषेणकृत स्याद्वादमंजरी नामक टीका में बौद्ध-दर्शन की समीक्षा
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