SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 12
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 10 रत्नाकरावतारिका में बौद्ध दर्शन के विविध मन्तव्यों की समीक्षा रचना हुई उनमें दिगंबर-परंपरा में प्रमेयकमलमार्तण्ड और श्वेताम्बर-परंपरा में स्याद्वादरत्नाकर सबसे प्रौढ़-ग्रन्थ माने जाते हैं। जहाँ तक मेरे शोधग्रन्थ रत्नाकरावतारिका का प्रश्न है, यह ग्रन्थ यद्यपि स्याद्वादरत्नाकर की अपेक्षा आकार में छोटा है, फिर भी यह बौद्धादि भारतीय-दर्शनों की तत्त्वमीमांसीय और ज्ञानमीमांसीय अवधारणाओं की जो समीक्षा प्रस्तुत करता है, वह अत्यंत प्रौढ़ है। बौद्धादि अन्य-दार्शनिक-मतों की प्रौढ़-समालोचना के कारण ही इस ग्रंथ का महत्व है और यही कारण है कि प्रस्तुत ग्रंथ को मैंने अपने शोध का विषय बनाया है। इस क्षेत्र में अभी तक जो भी शोधकार्य हुए हैं, उनमें मात्र डॉ. धर्मचन्दजी जैन की बौद्धप्रमाण-मीमांसा की जैन-दृष्टि से समीक्षा है, किंतु इस ग्रन्थ में रत्नाकरावतारिका का स्पर्श भी नहीं है, उनका मूल आधार विशेष रूप से दिगम्बर-परंपरा के ग्रन्थ रहे हैं- द्वादशारनयचक्र आदि, कुछ श्वेताम्बर-ग्रन्थों के नाम मात्र के निर्देश हैं। रत्नाकरावतारिका का उल्लेख न तो उनके संदों में है और न संदर्भ-ग्रन्थ की सूची में है। दूसरे, उनका यह ग्रन्थ मूलतः प्रमाणमीमांसा को आधार बनाता है, जबकि हमारी शोध में प्रमाणमीमांसा के साथ-साथ तत्त्वमीमांसा भी समाहित है। जहाँ तक रत्नाकरावतारिका का प्रश्न है, उस पर तो आज तक कोई शोधकार्य नहीं हुआ है। भारतीय-न्याय के अध्येताओं की दृष्टि में भी यह ग्रन्थ उपेक्षित ही रहा है। इसका एक कारण यह भी रहा कि आज तक इस ग्रन्थ का हिन्दी या अंग्रेजी अनुवाद भी उपलब्ध नहीं था, आज तक इस ग्रन्थ की ओर विद्वानों का ध्यान ही नहीं गया। इसी कारण, मैंने यह विषय चुना और अपने मार्गदर्शक के निर्देशानुसार इसे पूर्ण करने का प्रयत्न किया है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002744
Book TitleBauddh Darshan ka Samikshatmak Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyotsnashreeji
PublisherPrachya Vidyapith Shajapur
Publication Year2010
Total Pages404
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy