________________
हसेंती, हसेता, हसई, हसेई, हसमाणी, हसमाणा, हसेमाणी, हसेमाणा ( इनमेंसे आकारांत गंगा की तरह और ईकारान्त गनि की तरह )
(हू) हो पुं० होत, होमाण, होएंत, होअंत, होएमाण, होअमाण
(पुंलिंग वीर की तरह और नपुंसक कुल की तरह ) स्त्री० होती, होता, होएंती, होएंता, होअंती, होता,
होमाणी, होमाणा, होअमाणी, होअमाणा, होएमाणी,
होएमाणा, होअई, होएई, होई ( आकारांत गंगा की तरह और ईकारान्त गति की तरह)
भूतकृदंत भूतकृदंतमें धातुको अ और त प्रत्यय लगते हैं। और उसके पहेले यदि अकार आवे तो उसको इ हो जाती है । उदा० हस् + अ = हस-हसिअ, हसित । हू + अ = हूअ-हूइअ, हूइत; हू-हूअ, हूत ।
हेत्वर्थकृदंत । धातुके अंगको तुं प्रत्यय लगनेसे हेत्वर्थकृदंत होता है और तुं के पहेले के अ को इ और ए हो जाता है । उदा० हसितुं, हसेतुं और हसिउं, हसे। (व्यंजनोंका प्रयोग नियम १)
संबंधकभूतकृदंत धातुके अंगको तुं, अ, तूण, तूणं, तुआण, तुआणं प्रत्यय लगनेसे संबंधकभूतकृदंत होता है। और उस प्रत्ययके प्रथम अ का प्रायः इ और ए हो जाता है । हसितुं, हसेतुं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org