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________________ [ २१९ ] खिप्पामेव -- (क्षिप्रमेव) शीघ । प्रहरण को ग्रहण किये खीरहरे-(क्षीरधरे) समुद्र में। खीराइया-(क्षीरकिताः) दूध- गंधकासाईए- (गन्धकाशाच्या) वाळे हुए। अंगोछे से । खुति-(क्षुतिम् ) छींक । गंधजुत्ति - देखो टि. ४२ । खुत्ते--(दे०) डूबा हुआ- गंधियपुत्तेहिं -(गान्धिकपुत्रैः) धंसा हुआ । गांधी के लडकों से । खुवे-(क्षुपः) छोटासा पेड। गाहावती-(गृहपतिः) गृहस्थ। गिरिनगर - गिरनार-जूनागढ । गइंद- (गजेन्द्रः) बडा हाथी। गिहाति -- (गृहाणि ) घरों में। गड्डासु-(गर्तासु) खट्टों में। गुज्झया -(गुह्यकाः) यक्ष । गणरायाणो-देखो टि. ५३ ।। गुणसिलए - (गुणशिलके) गणित्तिया- (दे०) जाप गुणशिल चैत्य में । देखो करने के लिये रुद्राक्ष की 'भ. म. नी धर्मकथाओं छोटी माला। का कोश । गयघडदारणेण -(गजघटदार- गुंजालिया - ( गुंजालिका ) णेन ) हाथी के कुंभस्थल टेढी कियारी । को फाडनेवाले से। गुंडियं - (गुण्डितम् ) युक । गरुलवूह ---(गरुडव्यूहम् ) सेना गेण्हाहि ~(गृहाण) प्रहण कर। की गरुड के आकार में गोमेह - (गोमेघ) गोमेध । व्यूहरचना । गोसालस्स-देखो टि. ५० । गहाय-देखो टि. १५, क. १। गहियाउहपहरणा - (गृहीता- छत्तीहं ---(दे० गवेपयिष्ये युधप्रहरणाः) आयुध और तलास करूंगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002742
Book TitleJinagam Katha Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherKasturbhai Lalbhai Smarak Nidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages264
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Canon, Agam, & agam_related_other_literature
File Size9 MB
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