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लीद लींडी इ० शब्द भी इसी 'लिंट' के रूपान्तर है ।
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जैसे मल का वाचक लींट शब्द है वैसे ही 'सेटित ' शब्द भी इसी अर्थ में आता है । इसकी उपपत्ति भी 'लिष्ट' में से ही पूर्ववत् होती है । लेकिन इस पक्ष में श्लिष्ट के लू का लोप कर देना आवश्यक है । देशी भाषा में नासिका की ध्वनि' अर्थ में ' सिंढा' शब्द आता है वह भी श्लिष्ट का ही अपभ्रंश मालूम होता है। गूजराती का 'सेडा' शब्द भी इसी तरह आया है । नासिका के और कंठ के मल अर्थ में जो शब्द आते हैं वे सब लिष्ट धातु से बने हुए मालूम होते है । लेप्म का भ्रष्ट 'सळेखम' लेप्म शब्द में मात्र स्वरों के.. मिला देने से हो जाता है। 'लिप्' धातु का अर्थ चिकणाइ है इसी अर्थ के साम्य से मलवाचक उक्त सब शब्द इस धातु से बने हुए मालूम होते है । खेल शब्द भी नासिका के मल के अर्थ में आता है । इसकी उपपत्ति भी लेप शब्द के अक्षरों का व्यत्यय करने से और प् का खू बोलने से हो जाती है ।
लींड शब्द का साम्य यदि संस्कृत भाषा के लेप्दु शब्द के साथ बताया जाय तो लेप्टु, लेढु, लडु, लींड इस प्रकार उच्चारण भेद से लींड शब्द बन जाता है । परन्तु इसकी अपेक्षा पूर्वोक्त पद्धति द्वारा लिष्ट शब्द से इसका साम्य अधिक संगत लगता है ।
२४. कालधम्मुणा --" कालधर्मेण - कालधर्म से - मरण एकवचन में धम्म शब्द का पाकृत में अनेक जगह
से " । सामान्यतः तृतीया के ' धम्मेण ' रूप होता है । परन्तु
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