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साहसवज्जा (१) साहसमवलम्बन्तो पावइ हियइच्छियं न सन्देहो ।
जेणुत्तमङ्गमेत्तेण राहुणा कवलिओ चन्दो ॥ १० ॥ (२) तं कि पि साहसं साहसेण साहन्ति साहससहावा ।
जं भविऊण दिव्यो परम्मुहो धुणइ नियसीसं ॥ १०८ ॥ (३) थरहरइ धरा खुब्भन्ति सायरा होइ विन्मलो दइयो ।
असमववसायसाहस-संलद्धजसाण धीराणं ॥ १०९।। (४) जह जह न समप्पइ विहिवसेण विहडन्तकज्जपरिणामो। ___तह तह धीराण मणे वड्डइ बिउणो समुच्छाहो ॥ ११३॥ (५) हियए जाओ तत्थेव वड्डिओ नेय पयडिओ लोए ।
ववसायपायवो सुपुरिसाण लक्खिज्जइ फलेहिं ॥ ११५ ॥ (६) न महुमहणस्स वच्छे मझे कमलाण नेय खीरहरे ।
ववसायसायरे सुपुरिसाण लच्छी फुडं वसइ ॥ ११८॥
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