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प्राकृत भाषाका साधारण परिचय
प्राकृत भाषाका बोध करानेवाला ' प्राकृत ' शब्द ' प्रकृति शब्दसे बना है । ' प्रकृति' का एक अर्थ ' स्वभाव' भी है । अतः जो भाषा स्वाभाविक है, वह ' प्राकृत' शब्दसे वोधित होती है । अर्थात् मनुष्यको जन्मसे मिली हुई बोलचालकी स्वाभाविक भाषा, प्राकृत भाषा कही जाती है'
जो प्राकृत अधिक प्राचीन है उसको आप प्राकृत कहते हैं । जैन आगमोंमें प्राचीन प्राकृतके भी प्रयोग देखे जाते हैं। आचार्य हेमचंद्रने भी प्राकृत और भार्ष प्राकृत ऐसे दो विभाग अपने प्राकृतव्याकरणमें किये हैं । और उसमें
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१. " सकलजगन्नन्तूनां व्याकरणादिभिर नाहित संस्कार: सहजो चचनव्यापारः प्रकृतिः । तत्र भवम् सैव वा प्राकृतम् 1 - काव्यालंकार-नमिसाधु टीका २-१२ । यही टीकाकार " प्राक् पूर्वं कृतम् प्राकृतम् " - एसी व्युत्पत्ति बताता है यह कहां तक संगत है ?
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