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________________ को थाम लिया और साधार्मिक भाव से अपने भवन में रहने का स्थान दिया। वहाँ सम्युग आराधना सहित अनशन पूर्ण करके राजा चेटक स्वर्ग को प्राप्त हुए। क्रोधित कोणिक अपना प्रण पूरा करने के लिए गधे युक्त हल से वैशाली नगरी को जोतवाकर वापस अपने नगर गया। अबला स्त्री भी सबला बनकर पुरुषों को रिझाकर किस प्रकार विनाश को प्रेरित करती है - यह इस दृष्टान्त से सहज ही समझा जा सकता है। स्त्रीगत दोषों को दर्शाने वाला एक श्लोक इस बात का प्रमाण है "सोअसरी दुरिअदरी कवडकूड़ी महिलिआ किलेसकरी। वइरविरोअण अरणि दुक्खखणी सुखपडिवक्खा।।" वास्तव -शोक की सरिता, दुष्टता का मन्दिर, वैराग्नि को बढ़ाने वाली, दुःखों की खान, सुख की विरोधी स्त्री, में कलेश कराने वाली होती है। जो माँ-बाप की सेवा करता है, वही गुरु-सेवा के लिए योग्य बनता है। और जो गुरु-सेवा करता है वही भगवान का भक्त बनने लायक है। -प. पू. आ. वि. कलापूर्ण सू. म. यंत्र (टीवी, फोन आदि) द्वारा दूर रहे हुए व्यक्ति के साथ बात कर सकते हैं। मंत्र (प्रभु-नाम-जप) के द्वारा दूर रहे भगवान के साथ बात कर सकते हैं। - प. पू. आ. वि. कलापूर्ण सू. म. मंत्र (नाम-जप) द्वारा भगवान का सानिध्य मिलता है। मूर्ति के द्वारा भगवान का दर्शन होता है। ध्यान द्वारा भगवान के साथ मिलन होता है। - प. पू. आ. वि. कलापूर्ण सू. म. Jain Education International ★ ४५ ★ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org/
SR No.002740
Book TitleAnant Akash me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmadarshanvijay
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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