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________________ १२. स्त्री हठ प्रभु महावीर के समय में स्त्री हठ के कारण एक भयानक दुर्घटना घटित हुई जिसके कारण प्रेम से जीवन व्यतीत करने वाले दो भाईयों में शत्रुता की दीवार खड़ी हो गई। इस सत्य घटना का वास्तविक चित्रण यहाँ प्रस्तुत किया जाता है। मगधपति श्रेणिक की रानी चेलणा के तीन पुत्र थे। कोणिक, हल्ल और विहल्ल । नन्दा नामक रानी से अभय कुमार एवं अन्य रानियों से काल वगैरह दश पुत्र थे। नन्दा ने अभयकुमार के साथ दीक्षा ग्रहण की और अपने दो दिव्य वस्त्र और कुंडल हल्ल - विहल्ल को दिये। “राज्य का उत्तराधिकारी ज्योष्ठ पुत्र कोणिक ही होगा" यह सोचकर राजा श्रेणिक ने हल्ल-विहल्ल को सेचनक नामक विशिष्ट गंध-हस्ति और एक दिव्य हार दिया। कोणिक और काल आदि दस पुत्रों ने पिता श्रेणिक को कैद करके राज्य को आपस में बाँट लिया, किन्तु हल्ल-विहल्ल को कुछ भी नहीं दिया। अन्त में राजा श्रेणिक को कैद में ही विष पान करके मृत्यु को गले लगाना पड़ा। पिता की अकाल मृत्यु और उनको दिये गये उत्पीड़न से दुःखी होकर कोणिक ने राजगृह के स्थान पर चंपा नगरी को राजधानी बनाया और वहीं बस गया। इधर हल्ल और विहल्ल अन्तःपुर और परिवार सहित दिव्य हार, कुंडल और दैविय वस्त्रों से सुशोभित होकर, सेचनक हाथी पर सवार होकर, हमेशा नदी तट पर स्नान करने जाते थे। विभंगज्ञान से युक्त हाथी भी हल्ल-विहल्ल की पत्नियों को, उनकी इच्छानुसार विभिन्न प्रकार की क्रीड़ायें करवाता। कभी-अपनी पीठ पर उनको बिठाता, तो कभी सूंढ से झुलाता। कभी-कभी सूंढ से आकाश में उनको स्थिर कर देता। ऐसे अद्भुत दृश्य देखकर नगरजन कहने लगे- “चाहे भले ही कोणिक राजा हो, किन्तु राज्य की वास्तविक मजा तो हल्ल-विहल्ल ही भोग रहे हैं। " Jain Education International ★ ३९ ★ For Private & Personal Use Only LOUWAZYA www.jainelibrary.org
SR No.002740
Book TitleAnant Akash me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmadarshanvijay
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size10 MB
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