Disclaimer: This translation does not guarantee complete accuracy, please confirm with the original page text.
Here is the English translation, preserving the Jain terms:
The Dayananda-samakamana (Jain text) says that the Mahaggaya (great elephant) was not able to cross the river. The Talavarasaggavesaya (merchant) said that the Denarasa (king) should be informed. The Jhiniyahiunardisaghalliyadharaya (virtuous woman) said that the Navadasiuvesamarapariharavigharathakkavamsa (courtesan) should be punished. The Varudhara-vachaliya (eloquent speaker) said that the Sunnvaksha (empty-chested) should be killed. The Masanamadahinirujjhavesahejjayanunavijjhavinama (intoxicated person) said that the Mahottahimayuviddapanasalvarasamavakava (great and powerful person) should be respected.
The Surakacagabhaneya (Jain text) says that the Diyannasyanakamahi (courtesan) showed one Hajjekadarkhaliya (box) to each person. The Mpasamcaliyaparikhatiedisavamanidhalmajnasahasariya (wise and learned person) said that the Sabala (woman) should be punished. The Pihidivitadividisanidhal (learned person) said that the Rasamaniruttarunniyasani (intoxicated person) should be controlled.
The Namrahajjharutambavagathanahalahhakannaravrahana (Jain text) says that the Mukhyakkhapaddijjha (chief) should be honored. The Ramhovinavapamacatiha (virtuous person) said that the Manigana (group) should be protected.
The Taeamatiuhaamiya (Jain text) says that the Mijjavasavittannaviyanasigidia (courtesan) should be punished. The Gatahhimddasihitaginasamkahicchudamanjasasamasahi (learned person) said that the Ma 243 (number) should be followed.
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दाएएघस्यामाकामिाणे नाहन तहमन्नमहागययामिणाबदडशाणा तलवरसग्यवसाय
कहम देणारसचिडवानियत जहिंयहिउनर्दिषघल्लियठारायणदिवाणिय वृणिवरो धिरतामलिया नवदसियाउवेसणरपरिहरविघरथक्कावंसवरुधरावाचाळियासुन्नवक्षा मसनमदहिनिरुझशवसहेजड़यणुणिवझविनमहोतहिमयुविदडपणासलवरसमअवकाव वेस्पाकघरिचारि
सुरकचागभनेचा दिएण्यस्यानाकामिहि एकहाजएकदरखालियन सससाना मपसंचालियर परिखाटिएदिसवमणिथलमज्ञसहपसारिया सबला पिहिदिवितदिविदिशााणिथल रसमनिरुतरुणियसाणि मनजोदिपनसकिमसासरसहेमवतणउहाहानियससही सो
K K याणेणियमदहिगा तोदेटिहविचहामणरशमन्जससारिककलगाउँघरही वामपदिणउनमेदि मंजूधामाहिघाले वस्यानिराणीका
णमरहा जहहारुताम्बवगठिानहलाहहखणरावराहना सार्शायाहारुमा
मुख्याकखएपडिदिजिह रामहोविनवपमचतिह माणि गणं
टएमतिउहामिया मिजावसवित्राणावियनासगिदिदा गाटाहहिं दासिहितगिनसमकहिछडुमंजससमासहि मा २४३
काठ का बना हो। उसने यह दुर्वचन कहा कि यह नीरस है। वह जहाँ था, उसे वहीं स्थापित कर दिया। यह बात राजा ने भी सुनी और वणिकवर की दृढ़ता की सराहना की। नर को छोड़ने के लिए वेश्या का उपहास किया गया। वह ब्रह्मचर्य धारण कर अपने घर में स्थित हो गयी।
पत्ता-कोलिक सूत्र से मच्छर बाँधा जा सकता है, हाथी नहीं रोका जा सकता। वेश्या में मूर्खजन गिरते हैं विद्वान् का मन वहाँ खण्डित हो जाता है ॥१०॥
११ कोतवाल का पुत्र, एक और मन्त्री-पुत्र तथा विलासी राजा की रखैल का पुत्र, ये मतवाले महागज के समान गतिवाली उस वेश्या के घर आये। उसने एक-एक को ( परस्पर) दिखलाया और डर की भावना से
उनका मन चकित कर दिया। क्रम से उसने वचनों की शृंखला देकर, सबको मंजूषा में बन्द कर दिया। भाग्य के द्वारा पृथुधी भी वहाँ लाया गया। रति की याचना करनेवाले उससे युवती ने कहा-"जो तुमने पुण्यरूपी धान्य का आस्वाद लेनेवाली अपनी बहन के लिए मेरा हार दे दिया है, यदि वह लाकर तुम मुझे दोगे, तो मैं भी तुम्हें रतिमरण दूंगी।" मंजूषा का साक्ष्य बनाकर पृथुधी घर गया। दूसरे दिन सूर्य का उद्गम होने पर जिस प्रकार उसने उत्सव में हार ग्रहण किया था और जिस प्रकार लोभ से पुन: वह ठगा गया और सुरति की आकांक्षा से जिस प्रकार उसने दे दिया, उस प्रकार सारा वृत्तान्त राजा से कह दिया। उस मानिनी ने मन्त्री को नीचा दिखा दिया, वह निर्जीव साक्षी-गवाह (मंजूषा) ले आयो।
घत्ता-तब समर्थ दासियों ने अपने हाथों में अंगारे लेकर कहा-हे मंजूषे ! थोड़े में साफ-साफ कहो,
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