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Here is the English translation, preserving the Jain terms:
Jayasya hrdaniyantrana kasavidarsana hinajatinkahitamacchattaganiyagadayonanapidata piyaya cappavadharimandrapannaparicayanadhanastapakaranadvadasaligaminimajjira.
Mathanunauka manisamaima kahahi kaiyakhaniya syaganinujadagamanthaniye adhamahara kisihilaharedde kindahiyayavimucjnokatavaranamavijinahindhivati gaminiyataccha.
Hikikirati ghataihapanthiyajadipiyati gayapahsamasunganivayuti jahingavipevana mayavati pahanu bakulamanivadusanu suravijnatanaviciniya dhinacchaddicchattamayaganniya madiva kaspadadhika rimapananamamauhitavipa.
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जयश्यहृदनियन्तणुकासविदाश्णहिनाजटिंकहितमंछठगोनियागादायोणाणपिडा पियाय चप्पविधरिउमंदारपणापरिचायाधणथापकरणद्वाददलिगोमिणिमजिरम।
मथाणुणउकामणिसमईमाकहहिकैयाक्हाणीयाश्यगनिउजदिगमंथणीए अध्महर किसिहिलाहरदेड किंदहियायविमुअज्ञोकतवरणमवजिनहिंधिवति गामीणयतछ ।
हिकिकरति घटाइहपंथियजदिपियति गयपहसमसुङणिवायुयति जहिंगोविएपेवणार मयावति पहाणु बकुलामनिवदुसाणु सूरविनतनवचिनियाय धिनच्छडिछत्तमायागन्नियाप मदिव कास्पदधिक रिमापाणनामा मोहिताविप
से खींची गयी मथानी के द्वारा मानो इस प्रकार गाया जाता है? अत्यन्त मथे जाने से शिथिल शरीर क्या केवल जहाँ अत्यन्त गाढ़ा दही बिलोया जाता है। अत्यन्त घनत्व किसी के लिए भी हितकारी नहीं होता। जहाँ दही ही स्नेह छोड़ देता है, दूसरा कोई स्नेह नहीं छोड़ता? जहाँ तक (छाछ) इसी प्रकार छोड़ दिया जाता है। गोपी ने मन्थक (मथानी) को खींच लिया है, वैसे ही जैसे गुणों से प्रिया के द्वारा प्रिय खींच लिया जाता है। ग्रामीणजन तक्र (तर्क, विचार, और छाछ) से क्या करते हैं? जहाँ पथिक घी-दूध पीते हैं और पथ के काम सधन शब्द करते हुए मंदरीक (साँकल) से चाँपकर पकड़ा हुआ वह मन्थानक घूमता है। "हो-हो, हला, गोपी से मुक्त होकर सोते हैं । जहाँ गोपी ने नरप्रमुख को देखकर बछड़े की जगह कुत्ते को बाँध दिया। अपचित्त (अस्तमेरे साथ रमण करती है; लेकिन यह मथानी तुम्हारी कामपीड़ा शान्त नहीं कर सकती, इसे मत खींच।" रस्सी व्यस्त-चित्त) और प्रिय में लीन हुई गोपी ने घी छोड़ दिया और तक्र तपा दिया।
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