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मणिपहिशंजिणणाहणझिणागमदिहशायनायिकरुयधारिसहधारितर्दिसिंगधरमुखा ।
ऊसोगरभिर
दिसुहाति उत्तरदिसिपिवासणसलिकप्पकरमपावरणविलवकपससकष्णकुमण्यावी
रम्य-सौम्य और नित्यप्रसन्न, जिनका जिननाथ ने शास्त्रों में कथन किया है।
घत्ता-यहाँ कोई एकरुधारी है तो कोई पूँछ और सौंग धारण करनेवाला है। ये पूर्व दिशा में शोभित होते हैं। उत्तर दिशा में निर्भाष (बिना भाषा के) मनुष्य होते हैं ॥७॥
शष्कुलि के समान कानवाले, कानों के आच्छादनवाले, लम्बे कानवाले और खरगोश के कानवाले खोटे मनुष्य भी रहते हैं।
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