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________________ बोसणा पणे ५६५ सेना ये जो सप्त ईतियें तिनका भय सदा ही होगा। मोहरूप मदिराके माते रागद्वेषके भरे भौंह को टेडी करमाहारी करष्टि पापी महामानी कुटिल जीव होवेंगे कुवचनके बोलनेहारे करजीव धनके लोभी पृथ्वी पर ऐसे विचरेंगे जैसे रात्रिविणे घूधू विचरें अर जैस श्रागिया ( पट बीजना) समस्कार कर तैसे थोड़े ही दिन चमत्कार करेंगे । वे मूर्ख दुर्जन जिनधर्मसे परांगमुख कुधर्मविणे आप प्रवरतेंगे औरोंको प्रवरतावेंगे परोपकार सहित पराये कार्यों में निरुद्यमी आप इवेंगे औरों को डुबायेंगे। ते दुर्गतिगामी मापको महन्त मानेंगे ते क्रूर कर्म भदोन्मत्त अनर्थकर माना है वर्ष जिकोंने, मोहरूप अन्धकारसे अंधे कलिकालके प्रभावसे हिंसा रूप जे कुशास्त्र तेई भए कुठार तिनसे अज्ञानी जीवरूप पक्षोंको काटेंगे, पंचम कालके आदिमें मनुष्योंका सात हाथका शरीर ऊंचा होयगा भर एक सौ बीस वर्षकी उत्कृष्ट प्रायु होयगी फिर पंचम कालके अंत दोय हाथ का शरीर पर बीस वर्षकी आयु उत्कृष्ट रहेगी बहुरि छठेके अन्त एक हाथका शरीर उत्कृष्ट सोला वर्षकी आयु होगी । ते छठे कालके मनुष्य महाविरूप मांसाहारी महादुखों पापक्रिया रत महारोगी तियंच समान अज्ञानी होयेंगे न कोई सम्बन्ध न कोई व्यवहार न कोई ठाकुर न कोई चाकर न राजा न प्रजा न धन न घर न सुख, महादुखी होवेंगे। अन्याय कामके सेवनहारे धर्मके आचारसे शन्य महा पापके स्वरूप होवेंगे जैसे कृष्ण पक्षमें चंद्रमाकी कला घटे अर शुक्ल पचमें बढ़े तैसे अवसपंखी कालमें घटे उत्सर्पणीमें बड़े अर जैसे दक्षिणायनमें दिन घटे भर उत्तरायखविणे वढे तैसे अपसर्पली उत्सर्पली दोनों में हानि पृद्धि प्राननी । यह तीर्थकरनिका अंतराल कथा ॥ अथानन्तर हे श्रेलिक ! अब तू तीर्थकरोंके शरीरकी ऊंचाईका कथन सुन-प्रथम तीर्थकारका शरीर पांचसौ धनुष ५००, दूजेका साढे चार सौ धनुष ४५०, तीजेका चार सौ धनुर ४००, चौथेका साढ़े तीन सौ धनुष ३५०, पांचवेंका तीन सौ धनुष ३००, छठेका हाई सौ धनुष २५०, सातका दो सौ धनुष २००, पाठवेका डेढ सौ धनुष १५०, नौवेंका सौ धनुष १००, बसवेंका वब्बे पनुष १०, ग्यारहवेंका अस्सी धनुष ८०, बारहवेंका सत्तर धनुष ७०, तेरहवेंका साठ धनुष ६०, चौदहका पनास धनुष ५०, पंद्रहवेंका पैंतालीस धनुष ४५, सोलका चालीस मनुप ४०, सत्रका पैंतीस धनुष ३५, अठारहवेंका तीस धष ३०, उनीसवेंका पच्चीस थनुए २५. पीसवेंका घीस धनुष २०, इक्कीसवेंका पन्द्रह धनुष १५, बाईसवेंका दश अनुष १०, तेइसबैंका नौ हाथ 8, पोवीसवेंका सात हाथ ७ । अब आगे इन चावासों तीथे रोंका श्रायुका प्रमाण काहिए,-प्रथमका चौरासी लाख पूर्व, सो पूर्व कहा कहिए --चौरासी लाख वर्षका एक पूलांग चौरासी लाख पूर्वागका एक पूर्व होय है। अर दलेका बहना लाख पूर्व, गांजे का साठ लाख पूर्व, चौथेका पचास साल पूर्व, पांचवेंका चालीस लाख पूर्व, छठेका तार लाख ठग, जातका बीस लाख पूर्ण, आठवेंका दश लाख पूर्ण, नवमेंका दोय लाख पूर्ण, दशवेंका लाख पून, ग्यारहवेंका चौरासी लाख वर्ष, भारहवेंका यहत्तर लाख वर्ष, बेरहवें का साठ लाख वर्ष, चौदहवेंका तीस लाख वन, पका दश सात वर्ण, सोलवेका बाल वर्ग, सत्रहवेंका पानवे हजार वर्ग, अठारवेंन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002737
Book TitlePadma Puranabhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatram Kasliwal
PublisherShantisagar Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages616
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size20 MB
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