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प्राकृत विद्या मण्डल
उद्देश्य – प्राकृत भाषा और प्राकृत साहित्य के अध्ययन का विकास, उसका प्रसार तथा उसके अभ्यासियों को सहायता करना ।
प्रवृत्ति - पाठ्यपुस्तकों की कमी को दूर करने के लिए प्रयत्न करना, आवश्यकता पड़ने पर योग्य पुस्तकों का प्रकाशन करना और प्राकृत भाषा का अध्ययन करने वाले तेजस्वी विद्यार्थियों को उत्साहित करने के लिए छात्रवृत्ति देना ।
प्रकाशन
१ महावीरचरियं - आयरिथसिरिगुणचंद विरइयं. छट्ठो पत्थावो
२ महावीर चरित -छट्टो प्रस्ताव
अनुवादक पं. श्री बेचरदास जीवराज दोशा १-००
३ भगवतीसूत्र, शतक पन्द्रहवाँ - गोशालक अनुवादक पं. श्री रूपेन्द्रकुमार
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१-५०.
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००-७५
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