________________
उवासगदसासु
घ. 'पच्चक्खामि ३' से 'पच्चक्खामि मणसा वयसा कायसा' पड़ना चाहिए (कं. १६)।
6. 'लद्धा ३' से 'लद्धा पत्ता मभिसमन्नागया' पढ़ना चाहिए (के.
___च. 'सकिए ३' से 'संकिए कंखिए विइगिच्छासमावन्ने' पढ़ना चाहिए (कं. ८६)।
छ. 'भसण ४' से 'असणं पाणं खाइमं साइम' पढ़ना चाहिए (कं.६६)।
ज. 'आइक्खइ ४' से 'भाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ' पढ़ना चाहिए (कं. ७९)।
झ. 'आलम्बणं ४' से 'आलम्बणं पमाणं आहारे चक्खू पढ़ना चाहिए (कं. ६६) ।
अ. 'आसाएमाणी ४' से 'भासाएमाणी विसाएमाणी परिभुजेमाणी परिभाएमाणी' पढ़ना चाहिए (कं. २५०) ।
ट. 'मुच्छिया ४' से 'मुच्छिया गिद्धा लोला अज्झोववन्ना' पढ़ना चाहिए (कं. २४२) ।
ठ. 'अज्झथिए ४' से 'अज्झस्थिए चिंतिए मणोगए संकप्पे' पढ़ना चाहिए (कं. ७३) । जहाँ ५ हो वहाँ 'पत्थिए' और जोड़ देना चाहिए (कं. ८)।
ड. 'अपत्थियपत्थिया ४' से 'अपत्थियपत्थिया दुरंतपंतलक्षणा हीणपुण्णचा उद्दसिया हिरिसिरिधिइकित्तिपरिवज्जिया' पढ़ना चाहिए । जहाँ ५ हो वहाँ 'धम्मपुण्णसग्गमोक्ख कामया' और जोड़ देना चाहिए (कं. ९५ और १३५)।
ढ. 'आसुरत्ते ४' से 'आसुरत्ते रुठे कुविए चंडिक्किए' पढ़ना चाहिए (कं. १०५) । जहाँ ५ हो वहाँ मिसिमिसीयमाणे और जोड़ देना चाहिए (कं.९९)।
ण. 'धम्मकैखिया ५' से 'धम्मकंखिया पुण्णकंखिया सग्गकंखिया मोक्खकंखिया धम्मपुण्ण सग्गमोक्खकंखिया' पढ़ना चाहिए (कं. ९५) ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org