________________
४०
उवासगदसासु धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताण विहरह ॥ एवं पक्कारस उवासगपडिमाओ॥१७८॥ __ तहेव जाव सोहम्मे कप्पे अरुणज्झए विमाणे जाव अन्तं काहिइ ॥१७॥
" ॥निक्खेवो ॥ ॥ छटुं कुण्डकोलियऽज्झयणं समत्तं ।।
सत्तमे सदालपुत्ते अज्झयणे ।
॥ उक्खेवो ॥ पोलासपुरे नाम नयरे। सहस्सम्बवणे उज्जाणे । जियसत्त राया ॥१८॥
तत्थ ण पोलासपुरे नयरे सद्दालपुत्ते नाम कुम्भकारे आजीविओवासए परिवसइ । (आजीवियसमयंसि लद्धडे गहियढे पुच्छियढे विणिच्छियहे अभिगयढे अद्विमिंजपेमाणुरागरत्ते य) अयमाउसो ! आजीवियसमए अढे अयं परमढे सेसे अणद्वे" त्ति आजीवियसमएण अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥१८१॥
तस्स णं सहालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स एक्का हिरण्णकोडी निहाणप उत्ता एका वढिपउत्ता एक्का पवित्थरपउत्ता एक्के वए दसगोसाहस्सिएणं वएणं ॥१८२॥ .. तस्स णं सहालपुत्तस्स आजीविओवासगस्से अग्गिमित्ता नाम भारिया होत्था ॥१८॥
तस्स णं सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स पोलासपुरस्स नगरस्स बहिया पञ्च कुम्भकारावणसेया होत्था। तत्थ ण बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा कल्लाकलिं बहवे करए य वारए य पिहडए य घडए य अद्धघडए य कलसए य अलिञ्जरए य जम्बूलए य उट्टियाओ य करेन्ति । अन्ने य से
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org