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Bibliography of Prakrit and Jaina Research
264. Sandesara,P.J.
Literary Circle of Mahamatya Vastupala and its contribution to Sanskrit Literature. Gujarat, 1952, Published. 'महामात्य वस्तुपाल का साहित्य मण्डल एवं संस्कृत साहित्य में उसकी देन' नाम से हिन्दी अनुवाद प्रकाशित प्रका०-- जैन संस्कृति संशोधन मण्डल, वाराणसी प्रथम : 1959/20.00/16 + 280 + 16 अ०- (1) प्रास्ताविक-सांस्कृतिक और साहित्यिक पृष्ठभूमि, (2) महामात्य वस्तुपाल
और उसका महामण्डल, (3) वस्तुपाल का कौटुम्बिक और राजनैतिक इतिहास, (4) साहित्य और ललितकला का महान् पोषक कवि वस्तुपाल, (5) महामात्य वस्तुपाल का साहित्यमण्डल, (6) महाकाव्य, (7) नाटक, (8) प्रशस्तियाँ, (9) स्तोत्र, (10) साहित्य संग्रह, (11) प्रबन्ध, (12) जैन धर्म कथाओं का संग्रह, (13) अपभ्रंश-रास, (14) अलंकार ग्रन्थ, (15) व्याकरण ग्रन्थ, (16) छन्दशास्त्र ग्रन्थ, (17) न्याय ग्रन्थ, (18) ज्योतिष ग्रन्थ, (19) जैन शास्त्रों की टीकायें।
265. Sahu, Darpa Ganjan
(M. phill) A study of some Jain Sanskrit stotras. Poona, 1988, Unpublished.
Sup.- Dr. S. M. Shaha 266. सिंघल, दिनेश कुमार
वादीभसिंह कृत गद्यचिन्तामणि : एक समीक्षात्मक अध्ययन कुरुक्षेत्र, ....... प्रकाशित नि०- डा० धर्मचन्द जैन प्रका०- भावना प्रकाशन, 126 पटपडगजं, दिल्ली-92 प्रथम : 1990/135.00/320 अ०- (1) विषय प्रवेश, (2) गद्यचिन्तामणि, (3) गद्यचिन्तामणि की कथावस्तु, (4) गद्यचिन्तामणि के नायक-नायिका तथा अन्य पात्रों का चरित्र-चित्रण, (5) रस एवं भाव योजना, (6) प्रकृति चित्रण, (7) गद्यचिन्तामणि की भाषा-शैली, (8) काव्य में
प्रतिबिम्बित समाज-व्यवस्था, (७) गद्यचिन्तामणि का मूल्यांकन। 267. सिंघल, दिनेश कुमार
(लघु प्रबन्ध) मुनिसुव्रत काव्य का समीक्षात्मक अध्ययन कुरुक्षेत्र, 1977, प्रकाशित नि०- डा० धर्मचन्द्र जैन 'मुनि सुव्रत काव्य' नाम से प्रकाशित प्रका०- स्वयं प्रथम : 1992/100.00/162 अ०- (1) भूमिका (2) मूलपाठ (अनुवाद राहित)
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