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प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ
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अ०- (1) अपभ्रंश महाकवि रइधू का व्यक्तित्व, (2) पौराणिक महाकाव्य (क), (3) पौराणिक महाकाव्य (ख), (4) पौराणिक खण्डकाव्यात्मक प्रबन्ध साहित्य, (5) सिद्वान्त एवं आचारमूलक गाथा साहित्य, (6) प्रबन्ध पद्धति पर निर्मित आध्यात्मिक साहित्य, (7) भाषा और शैली, (8) भूगोल वनस्पति एवं पशु-पक्षी,
(9) रइधूकालीन संस्कृति-रइधू साहित्य की उपलब्धियाँ । 60. जैन, वन्दना (श्रीमती)
आचार्य जोइन्दु : एक अनुशीलन सागर, 1999, अप्रकाशित नि०- डा० भागचंद जैन भागेन्दु, दमोह
जैन, विमल प्रकाश जम्बू स्वामी के जीवन चरित्र का समालोचनात्मक अध्ययन जबलपुर, 1968, प्रकाशित प्रका०- भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली ('जंबूसामिचरिऊ' नाम से प्रकाशित) प्रथम : 1968/25.00/16 + 25 + 401 अ०- प्रस्तावना, (1) सम्पादन परिचय, (2) ग्रन्थकार परिचय, (3) कथासार, (4) जंबूस्वामी- एक ऐतिहासि। कथापुरूष, कथा की दीर्घ परम्परा और मूल स्रोत, (5) जंबू स्वामी चरित्र की 3।न्तर्कथायें, (6) जंबूसामिचरिऊ का काव्यात्मक मूल्यांकन (7) जंबूसामिचरिऊ की गुण और रीति-युक्तता एवं सुभाषित और लोकोक्तियां, (8) जंबूसामिचरिऊ की भाषा एवं व्याकरणात्मक विश्लेषण, (७) वीर
तथा अन्य कवि, (10) समसामयिक अवस्था । मूलपाठ- हिन्दी अनुवाद सहित । 62. जैन, सरोज (श्रीमती)
णेमिणाहचरिऊ का सम्पादन एवं सांस्कृतिक अध्ययन उदयपुर......., अप्रकाशित C/o डा० प्रेमसुमन जैन, सुन्दरवास, उदयपुर (राज०) जैन, सुदीप योगीन्दु- व्यक्तित्व एवं कृतित्व
राजस्थान, 1994, अप्रकाशित 64. जैन, सुरेन्द्र कुमार
पासणाहचरिऊ- एक समीक्षात्मक अध्ययन बरेली, 1986, प्रकाशित नि०- डा० प्रेमचन्द जैन, एल०- 65, न्यू इंदिरा नगर, बुरहानपुर (खण्डवा) म०प्र०
प्रका०- आ० ज्ञा० केन्द्र, व्या ।र (राज०) Jain Education International For Private & Personal Use Only
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