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________________ 40 65. 66. 67. 68. 69. 70. प्रथम : 1997/50.00 / 240 अ०- (1) तीर्थंकर पार्श्वनाथ: तुलनात्मक अध्ययन, (2) पासणाहचरिऊ का समय, ( 3 ) पासणाहचरिऊ की भाषा शैली, (4) पासणाहचरिऊ : एक महाकाव्य, (5) सामाजिक जीवन, (6) पासणाहचरिऊ में वर्णित राजनैतिक व्यवस्था, (7) धर्म और दर्शन, (8) उपसंहार । जैन, सूरजमुखी (श्रीमती) अपभ्रंश का जैन रहस्यवादी काव्य और उसका कबीर पर प्रभाव आगरा, 1972, प्रकाशित भूतपूर्व प्राचार्या, स्थानकवासी जैन गर्ल्स कॉलेज, बड़ौत (बागपत) उ०प्र० Bibliography of Prakrit and Jaina Research 35, इमामबाड़ा, मुजफ्फरनगर ( उ०प्र०) 'अपभ्रंश का जैन रहस्यवादी काव्य और कबीर' नाम से प्रकाशित प्रका०- कुसुम प्रकाशन आदर्श कालोनी, मुजफ्फरनगर (उ०प्र०) 251001 प्रथम : 1996 / 200.00/25 + 288 अ०- ( 1 ) रहस्यवाद, (2) जैन रहस्यवाद, (3) अपभ्रंश के जैन रहस्यवादी कवि और उनके काव्य, (4) अपभ्रंश के जैन कवियों की आध्यात्मिक विचारधारा और कबीर, (5) अपभ्रंश के जैन कवियों का साधनामार्ग और कबीर, (6) अपभ्रंश के जैन कवियों की रहस्यानुभूति और कबीर, (7) अपभ्रंश के जैन कवियों की अभिव्यजंना प्रणाली और कबीर । (8) परिशिष्ट । जैन, हीरालाल ( स्व ० ) पाहुड दोहा, सावधम्म दोहा, करकंडचरिऊ का सम्पादन । नागपुर, जैन, हीरालाल ( स्व ० ) अपभ्रंश स्टडीज नागपुर, 1944, अप्रकाशित टंडन, कैलाश नाथ पुष्पदन्त की भाषा लखनऊ, 1969, अप्रकाशित टंडन, कैलाश नाथ अपभ्रंश के कवि लखनऊ, 1983, Jain Education International ( डी० लिट्०) तोमर, रामसिंह प्राकृत अपभ्रंश का साहित्य और उसका हिन्दी साहित्य पर प्रभाव इलाहाबाद, 1951, प्रकाशित विश्वभारती, शान्ति निकेतन (पश्चिम बंगाल) For Private & Personal Use Only ( डी० लिट्०) www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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