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प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध-सन्दर्भ
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115 558. जैन, नमिता
प्रवचनसार में प्रयुक्त दार्शनिक शब्दावली का समीक्षात्मक अध्ययन बरेली, ....., अप्रकाशित
नि०- डा० जी० एस० गुप्ता, बिजनौर 559. जैन, नरेन्द्र कुमार
जैन दर्शन में रत्नत्रय का स्वरूप बरेली, 1987. प्रकाशित नि०- डा० प्रमोद कुमार, बिजनौर मकान नं0 43, बलवन्त रोड़, सनावद (खरगौन) म०प्र० प्रका०- आ० ज्ञा० केन्द्र, व्याबर (राज०) प्रथम : 1995/75.00/160 अ०-- (1) रत्नत्रय का स्वरूप, (2) सम्यग्दर्शन, (3) सम्यग्दर्शन के भेद, (4) सम्यक्त्व के आठ अंग, (5) सम्यग्ज्ञान, (6) सम्यक चारित्र, (7) सम्यक् चारित्र
(सर्वदेश चारित्र)। 560. जैन, नरेन्द्र कुमार
आचार्य समन्तभद्र के दार्शनिक विचारों का समालोचनात्मक अध्ययन वाराणसी, 1980, प्रकाशित ‘समन्तभद्र अवदान' नाम से प्रकाशित प्रका०- स्याद्वाद प्रचारिणी सभा, जयपुर प्रथम : 2001/300.00/293 अo- (1) समन्तभद्र का जीवन वृत्त (2) समन्तभद्र की कृतियां और उनके मूल विचार (3) समन्तभद्र के दार्शनिक विचार (4) समन्तभद्र और अवैदिक दर्शन
(5) समन्तभद्र और वैदिक दर्शन (6) उपसंहार । 561. जैन, निर्मला (कु०)
प्रमेयकमलमार्तण्ड : एक समीक्षात्मक अध्ययन (दो भागों में) वाराणसी, 1976, अप्रकाशित नि०- स्व० डा० नीलमणि उपाध्याय
C. K. 35/29, जैन ट्वायज सेन्टर, विश्वनाथ गली, वाराणसी (उ०प्र०) 562. जैन, नेमीचन्द
समन्तभद्र का समीक्षात्मक अध्ययन मगध, 1991, अप्रकाशित नि०- डा० राजाराम जैन, आरा पूर्व प्राचार्य- पार्श्वनाथ दि० जैन गुरुकुल, खुरई (सागर) म०प्र०
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