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________________ 114 प्राचार्या- कन्या महाविद्यालय, फतेहपुर पुण्डरी, कैथल (हरियाणा) W/o डा०- धर्मचन्द्र जैन पूर्व अध्यक्ष पालि विभाग, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र प्रका०- परिमल प्रकाशन, दिल्ली प्रथम : 1992 / 180.00/30 + 37 अ०- ( 1 ) (क) आत्मतत्त्व विवेचन ( ख ) आत्मपरिमाण विवेचन (2) (क) ज्ञान मीमांसा, (ख) प्रामाण्यवाद, (ग) केवल प्रत्यक्ष को प्रमाण मानने वाले चार्वाकों का खण्डन, (घ) प्रमाणफल व्यवस्था, (3) पदार्थ समीक्षा, (4) (क) वेदों की अपौरुषेयता : समीक्षा, (ख) ईश्वर समीक्षा, (ग) सर्वज्ञ सिद्धि, (घ) मोक्ष, ( 5 ) (क) पदार्थ विवेचन जैन दृष्टि से ( ख ) नय विचार, परिशिष्ट । 553. जैन, जिनेन्द्र कुमार दसवीं शती के जैन ग्रन्थों का दार्शनिक अध्ययन Bibliography of Prakrit and Jaina Research उदयपुर, 1993, अप्रकाशित नि०- डा० उदयचंद जैन प्रवक्ता, जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान) 554. जैन, जैनमती (श्रीमती) पंचास्तिकाय का समीक्षात्मक और तुलनात्मक अध्ययन आरा, 1995, अप्रकाशित नि०- डा० डी० सी० राय, एच० डी० जैन कालेज, आरा (बिहार) सहायक शिक्षिका जैन वाला विश्राम, आरा (बिहार) 555. जैन, दीपक एस० पंचास्तिकाय संग्रह : एक अध्ययन राजस्थान, 2003, अप्रकाशित नि०- डा० शीतलचंद जैन, जयपुर 556. जैन, धन कुमार वि० (लघु प्रबन्ध ) आचार्यामृतचन्द्रस्य दार्शनिकसिद्धान्तानां समालोचनात्मकमध्ययनम् (संस्कृत) राजस्थान, 1988, अप्रकाशित नि०- डा० शीतल चंद जैन, जयपुर 557. जैन, धन कुमार (शास्त्री) आचार्य कुन्दकुन्द के साहित्य में तत्त्वों का समीक्षात्मक अध्ययन जयपुर, 2003, अप्रकाशित नि०- डा० शीतल चंद जैन, जयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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