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________________ प्राकृत एवं जैनविद्या : शोध- सन्दर्भ 461. जैन, कमलेश जैन दार्शनिक पारिभाषिक शब्दावली का विश्लेषणात्मक अध्ययन वाराणसी, 1986, अप्रकाशित नि०- डा० राधेश्याम चतुर्वेदी, वाराणसी सहनिदेशक, बी० एल० इंस्टीट्यूट आफ इण्डोलॉजी, 20 वाँ किलोमीटर, जी० टी० करनाल रोड़, दिल्ली 462. जैन, नीरज (कु०) सन्धि विषयक सिद्धान्तों का तुलनात्मक अध्ययन ( सिद्धान्त कौमुदी एवं कातंत्र रूपमाला के सन्दर्भ में) इन्दौर, 1999, अप्रकाशित ( टंकित ) नि०- डा० मिथिला प्रसाद त्रिपाठी 463. Jain, Mudrika C/o श्री नरेन्द्र कुमार जैन, नरेन्द्र मेडीकल स्टोर, मु० पो० खातेगांव, जिला- देवास ( म०प्र०) पिन - 455336 अ० - (1) सिद्धान्त कौमुदी : एक परिचय (2) कातंत्र व्याकरण: एक परिचय (3) सन्धि का आशय, भेद एवं उपयोगिताएं (4) स्वर विषयक सन्धियों के सिद्धान्त (5) व्यंजन एवं विसर्ग सन्धि विषयक सन्धि सिद्धान्त ( 6 ) उपसंहार । Study of Hemchandra's Shabdanushasan. Gujrat, 1980, Unpublished. Sup. - Dr. A. Soloman 465. त्रिपाठी, राजाराम 464. Tagore, Ganesh Vasudeo (or Tagore Gajanan) Historical Grammar of Apbhransha. Mumbai, 1946, Published. A-4, Paranjpe Housing Scheme, Madhav Nagar Road, Sangali-416416 संस्कृत नाटकों में प्रयुक्त प्राकृत का भाषा वैज्ञानिक अध्ययन भोपाल, अप्रकाशित 466. तेलंग, भालचन्द्रराव 101 भारतीय आर्य भाषा परिवार की मध्यवर्तिनी देश - भाषाओं की धारायें नागपुर, 1957, अप्रकाशित (लघु प्रबन्ध) Jain Education International 467. दवेसर, इन्दु पाणिनी सूत्रपाठ और जैनेन्द्र सूत्रपाठ का तुलनात्मक अध्ययन (विशेषतः संज्ञा, परिभाषा एवं अनुबंध के सन्दर्भ में) कुरुक्षेत्र, प्रकाशित (अनु प्रकाशन, मेरठ, 1985) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002731
Book TitlePrakrit evam Jainvidya Shodh Sandarbha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKapurchand Jain
PublisherKailashchandra Jain Smruti Nyas
Publication Year2004
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size8 MB
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