________________
102
Bibliography of Prakrit and Jaina Research
-
468.
Natrajan,T. The Language of Sangam Literature and Tolakkappiyam. Madurai, 1976, Unpublished.
469. पाठक, रामबरन
स्वयम्भू की भाषा लखनऊ, 1974, अप्रकाशित
हि० वि०, बद्रीविशाल कॉलेज, फर्रुखाबाद (उ०प्र०) 470. पाण्डेय, अर्चना (श्रीमती)
जैन भाषा दर्शन की समस्यायें वाराणसी, 1992, अप्रकाशित नि०- डा० सागरमल जैन
471. प्रभा कुमारी
जैनाचार्यों का संस्कृत व्याकरण को योगदान
दिल्ली, 1982, प्रकाशित (निर्माण प्रकाशन, शाहदरा, दिल्ली, 1990 ई०) 472. Banerjee, Satyaranjon
The Eastern School of Prakrit Grammarians. Kolkata, 1964, Unpublished. विमला देवी कृदन्त और तद्धित प्रकरणों का अध्ययन : पाणिनि व जैनेन्द्र व्याकरण के परिप्रेक्ष्य में कुरुक्षेत्र, 1992, अप्रकाशित
473.
474. Mehendale, Madhukar Anant
Historical Grammar of inscriptional Prakrits. Mumbai, 1943, Unpublished.
475. Mishra, Radha Kant
Linguistic Study of Eastern Apabhransha with special reference to the language of the Siddhas.
Utkal, 1981,Unpublished. 476. मिश्र, रामसागर
शिष्यहितान्यासस्य सम्पादनमध्ययनञ्च दिल्ली, .........., प्रकाशित नि०- डा० योगेश्वर दत्त शर्मा, हिन्दू कालेज, दिल्ली राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, गोमतीनगर, लखनऊ 'शिष्यहितान्यास' तथा 'शिष्यहितावृत्तिः' नाम से दो भागों में प्रकाशित
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org