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पाठ ११
उत्तराध्ययन
डगं चइत्ताणं । विटुं भुंजइ सूयरे॥ एवं सीलं चइत्ताणं ॥ दुस्सीले रमइ मिए।५॥ सुणियाभावं साणस्स ॥ सूयरस्स नरस्स य॥ विणए ठवेज अप्पाणं ॥ इच्छंतो हियमप्पणो॥६॥ तम्हा विणयमेसेज्जा॥ सीलं पडिलभे जओ। बुद्ध पुत्त नियागट्ठी॥ न निक्कसिज्जइ कण्हुई॥७॥ निस्संते सियामुहरी। वुद्धाणं अंतिए सया। अट्ठजुत्ताणि सिक्खिज्जा। निरढाणि ओ वजए ।।८ ॥ अणुसासिओ न कुप्पिजा। खंतिं सेवेज पंडिए। खुड्डेहिं सह संसग्गिं। हासं कीडं च वज्जए॥९॥ मा य चंडालियं कासी। बहुयं मा य आलवे। कालेण य अहिज्झित्ता ॥ तओ झाएज एगओ॥१०॥आहच्च चंडालियं कहु॥ न निण्हवेज कयाइ वि। कडं कडे त्ति भासिज्जा। अकडं तो कडि त्ति य॥११॥ मा गलियस्सेव कसं॥ वयणमिछे पुणो पुणो। कसं व दट्ठमाइण्णे॥ पावगं परिवजए॥१२॥ अणासवा थूलवया कुसीला। मिउंपि चंडं पकरंति सीसा॥ चित्ताणुया लहु दक्खोववेया। पसायए ते हु दुरासयं पि॥१३॥ पिडं व संजए॥ पाए पसारिए वावि। न चिट्ठ गुरुणंतिए॥१९॥ आयरिएहिं वाहित्तो॥ तुसिणीओ न कयाई वि। पसायपेही नियागट्ठी। उवचिढे गुरु सया॥२०॥ आलवंते लवंते वा। न निसीएज कयाइ वि। चइऊण आसणं धीरो। जओ जुत्तं पडिस्सुणे ॥२१॥
आसणगओ न पुच्छिज्जा ॥ नेव सेजा गओ कयाइ वि। आगम्मुक्कडुओ संतो। पुच्छिज्जा पंजलीउडो॥२२॥ एवं विणय जुत्तस्स। सुत्तं अत्थं च तदुभयं। पुच्छमाणस्स सीसस्स। वागरेज जहासुयं ॥२३॥ मुसं परिहरे भिक्खू। न य ओहारिणिं वए॥ भासा दोसं परिहरे। मायं च वजए सया ॥२४॥ न लवेज पुठो सावजं । न निरटुं त मम्मयं । अप्पणट्ठा परट्ठा वा। उभयस्संतरेण वा ॥२५॥ समरेसु अगारेसु। संधीसु य महापहे॥ एगो एगित्थिए सद्धिं । नेव चिट्टे न संलवे ॥२६॥ जं मे बुद्धाणुसासन्ति। सीएण फरुसेण वा। मम लाभो त्ति पेहाए। पयउत्तं पडिस्सुणे ॥२७॥ अणुसासणमोवायं। दुक्कडस्स य चोयणं । हिवं तं मन्नइ पन्नो। वेसं होइ असाहुणो॥२८॥
प्राकृत-पाण्डुलिपि चयनिका
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