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________________ च॰ स्विश्जेस श्राश्रनुजेएाईरुमा विगतमहित्र अनेरीएक स• सर्वस्वपं-रहित सियाई अनुत्तर विमाननादे बताना उनि हनुमान शतिमि· ॐडू नाममहिविकिदेव साहु २५ हमे शिरकुत्राय रेसिया सच्चखप हि वा देने नाविमहिदि 2 उत्तर विमाननादेव · देवताजतन्त्रमनुक्रमे धर्मा देवचुलाका विमानन जसवंत देवता विविका रमा र इमोहर उत्तरविमानली देवता कुस• माता देवता करि इकस्मिहिल उत्तरा इनिमो हनुमंताच्च सोमा इन हिज खे दिया वासा इंजर्स सि हिदायताका मूतिमानात कालना ऊपमा · घानीपरिपं वैकियरूपककरिया समर्थ इवन लेरेवतासं सरियाले नवनकुडू 0 कॉलिंगी अधिका रहदी हायारमितामा काम विशेोधवत्र मंका सानुजेोच्च विमास नातेजा 600 देवताना सा मी सेवीन इंस• राजे सांय शंसाका लागि गृह जेजे नकञिलब इतिहांग. जाई a. स्मैशपः माता लागउतिः मिखित्ता संनमंत्रनानिखाएवा गिजेबाने मंति शीतलीचन तेन्नावुनिज्ञानगति कुलेसो) का सं संतान जाहि-वाहांम मात्तिभरण देवलाई २० लीन समलिपूज्यना कर्जगति श्रीमानस्थल जेन इहवा मं प्रतिनागतिखेर याकडू परिनिवुम || २०|त्तेसिसच्चा सयुजाएं। संजयाल खुसी मनसंत संत्तिमरणांते|* उपसम करि० Jain Education International दर्घायुषा मंतकुई प्राकृत पाण्डुलिपि चयनिका For Private & Personal Use Only स्यवाश्रथवा ( ५४ www.jainelibrary.org
SR No.002730
Book TitlePrakrit Pandulipi Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2006
Total Pages96
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size5 MB
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