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________________ २५८ महापुराण [५४. ६.८ बलपबलसत्ति भडु विझसत्ति । रिउ भणिउ तेण रे रे णिहीण। दे देहि णारि मा गिलउ मारि। सहुँ परियणेण पई रणि खणेण। तं सुणवि सत्तु इयरेण वुत्तु । गुणणिहियबाणि मई जीवमाणि । को रमइ तरुणि कमि पँडिय हरणि । जो हरिहि हरइ सो झ त्ति मरइ। इय जंपमाण बेण्णि बि समाण । विधंति वीर पुलइयसरीर। फणिवइपमाण बाणेहिं बाण। णहि पडिखलंति छत्तहिं पंडंति। धय जिल्लुणंति सारहि हणंति। हय कप्परंति पुणु चप्परंति। हणु हणु भणंति अंगई वणंति । सहसा मिलंति विहडेवि जंति। पडिवलिवि एंति थिर गिरि व थंति । ता गयविलासु विंझाहिवासु। पत्ता-संधाणु ण लक्खहुं सक्कियउं चवलसरावलि देंतहु ॥ गउ णासवि तासु सुसेणु रणि णं वम्महु अरहतहु ।।५।। २५ किया है, जो वाहनोंसे अप्रमाण है, दिशामें दौड़ रहा है, जिसके ध्वजछत्र छिन्न हो चुके हैं, ऐसा अपना सैन्य देखकर शत्रुयोद्धाके लिए कृतान्त तथा बलसे प्रबल शक्तिवाला विन्ध्यशक्ति तुरन्त दौड़ा। उसने शत्रु सुषेणसे कहा, "रे नीच, नारी दे दे, तुझे परिजनोंके साथ एक क्षणमें कहीं मारि न खा ले।" यह सुनकर दूसरेने कहा, "जिसकी डोरीपर बाण है, ऐसे मेरे जीवित रहते हुए कोन उस रमणीका भोग कर सकता है, जो पैरोंपर पड़ी हुई हरिणीको सिंहसे छीनता है, वह शीघ्र ही मृत्युको प्राप्त होता है।" इस प्रकार कहते हुए वे दोनों ही समान ( योद्धा ) पुलकित शरीर होकर एक दूसरेको बेधते हैं। नागराजके समान बाणोंसे बाण आकाशमें स्खलित होते हैं, छत्रोंसे छत्र गिर पड़ते हैं, ध्वज कट जाते हैं, सारथि मारे जाते हैं, अश्व काटे जाते हैं, पुनः आक्रमण किये जाते हैं, मारो-मारो कहते हैं, अंगोंको घायल करते हैं, सहसा मिलते हैं और विघटित होकर जाते हैं । मुड़कर आते हैं, स्थिर गिरिके समान स्थिर होते हैं । गत विलास होकर पत्ता-सन्धानको लक्षित करने में समर्थ नहीं हो सका। चंचल तीरोंकी आवली देते हुए उससे युद्ध में सुषेण उसी प्रकार नष्ट हो गया, जिस प्रकार अरहन्त देवसे कामदेव नष्ट हो जाता है ।।५॥ ४. AP वडिय । ५. P हरिणि । ६. AP°पमाणु । ७. AP बाणु । ८. P adds after this: रोसें जलंति । ९. A छति । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002724
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1981
Total Pages574
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Mythology, & Story
File Size12 MB
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