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विषय-सूची
सन्धि १
२-२१ (१) ऋषभ जिनकी वन्दना। (२) सरस्वतीकी वन्दना। (३) कत्रिका मान्यखेटके उद्यानमें प्रवेश और आगन्तुकोंसे संवाद । (४) राज्यलक्ष्मीकी निन्दा। (५) भरतका परिचय । (६) भरत द्वारा कविकी प्रशंसा और काव्य रचनाका प्रस्ताव । (७) कवि द्वारा दुर्जन निन्दा । (८) भरतका दुबारा अनुरोध और कविकी स्वीकृति । (९) कवि द्वारा अल्पज्ञताका कथन और परम्पराका उल्लेख । (१०) गोमुख यक्षसे प्रार्थना । (११) अज्ञानकी स्वीकृतिके साथ कवि द्वारा महापुराण लेखनका निश्चय । जम्बद्वीप भरतक्षेत्र और मगध देशका चित्रण । (१२-१६) राजगृहका वर्णन । (१७) राजा श्रेणिकका वर्णन । (१८) उद्यानपालकी सूचना वीतराग परम तीर्थंकर महावीरके समवसरणका विपुलाचलपर आगमन और राजा श्रेणिकका वन्दना भक्तिके लिए प्रस्थान ।
सन्धि २
२२-४५ (१) नगाड़ेका बजना और नगरवनिताओंका विविध उपहारोंके साथ प्रस्थान । (२) राजाका पहुँचना और देवों द्वारा समवसरणको रचना । (३) राजा द्वारा जिनेन्द्रको स्तुति, गौतम गणधरसे महापुराणको अवतारणाके विषयमें पूछना । (४-८) गौतम गणधर द्वारा पुराणकी अवतारणा करते हुए काल द्रव्यका वर्णन । (९-११) प्रतिश्रुत कुलकरका जन्म । (१२) नाभिराज कुलकरकी उत्पत्ति, भोगभूमिका क्षय और कर्मभूमिका प्रारम्भ । (१३) मेघवर्षा, नये धान्योंकी उत्पत्ति। (१४) कुलकरका प्रजाको समझाना और जीवनयापनकी शिक्षा देना। (१५-१६) मरुदेवीके सौन्दर्यका वर्णन । (१७) नाभिराज और मरुदेवीकी जीवनचर्या, इन्द्रका कुबेरको आदेश । (१८) नगरके प्रारूपका वर्णन । (१९) कर्मभूमिको समृद्धि । (२०) समृद्धिका चित्रण । (२१) मगरके वैभवका वर्णन ।
सन्धि ३
(१) इन्द्र द्वारा छह माह बाद होनेवाले भगवान्के जन्मकी घोषणा । (२) सुरबालाओंका जिनमाताकी सेवा और गर्भशोधनके लिए आगमन । (३) देवांगनाओं द्वारा जिनमाताका रूप चित्रण । (४) जिनमाताकी सेवा । (५) माताका स्वप्न देखना। (६) मरुदेव द्वारा भविष्य कथन । (७) रत्नोंकी वर्षा । (८) जिनका जन्म । (९) देवोंका आगमन और स्तुति । (१०) विभिन्न सवारियों पर बैठकर देवोंका अयोध्या आगमन । (११) माताको मायावी बालक देकर इन्द्राणीका बालकको बाहर निकालना; बालकको देखकर इन्द्रकी प्रशंसा । (१२) इन्द्रके द्वारा स्तुति; सुमेरुपर्वतपर ले जाना; पाण्डुशिलाके ऊपर सिंहासनपर विराजमान करना । (१३) सुमेरु पर्वत द्वारा प्रसन्नता व्यक्त करना। (१४) नाना वाद्योंके
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