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महापुराण
घत्ता - दूर त्यहं बंधुहुं गेहु जइ णासइ पिसुणकयंतरु | रवि मल्लइ किरण पंकयहं ताइं णिवारइ जलहरु ||१५||
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आरणालं - भो भो दणुयणिम्मेहा सुणसु वम्महा कुणसु चारु चित्तं । सह गुरुण भाइणा तिजगताइणा रूसिउं ण जुत्तं ॥१॥ को ससहरु को किर करमेलउ को समुद्द को जलकल्लोलs | कोतुहुं भरहु व किर वुच्चाइ एह बुहं विपुण रुच्चइ | कपरुक्खु किं कुसुमहिं अंच रयणायरु करसलिलें सिंचमि । सुरहु अग्गइ दीवउ बोहमि उहिणु किं पईं संबोहमि । ताहु अच्छइ भरहु जि राणउ तुहुं जुराउ जगेपहाणउ | माणे मरट्ट विसट्ट मुएप्पिणु जीवहु एकमेक अणुणेपिणु । तरुणिकंठकंटइयपवैट्ठहिं अरिवरदंतिदंत परिहट्ठहिं । आढियह कोदंडहिं आलिंगियउ जेहिं भुयदंडहिं । तेहिं ण पुणरवि रणि जुज्झिज्जइ गुरुणि अविणण लज्जिज्जइ ।
घत्ता - कुलसामि महाबलु सुयणु गुणि णउ णवंति जे राणउ ॥ घर ताहं होइ दालिद्दडउ अह जमपुरिहि पयाणडं ||१६||
१७
आरणालं - जो वरचरमकुलयरो पढमणिववरो पंकयच्छियाए । जिणवंसो पयासिओ जेण भूसिओ रायलच्छियाए ॥१॥ जासु दंडु परदंडु णिरुभइ ।
तुर तुरिउ हियएं सहुं गच्छइ । थवइ थवई तिहुयणु जइ इच्छइ । असि असु कडूढइ सत्तुहुँ केरउ | सेणावइ सेणावइ णासइ । णिज्जिउ सुरु वेयड्ढणिवासु वि । सिंधुदेविअहिमाणु पलोट्टिउ । पुणु आइ सरिसुतीरहु । छाहिछलेण व ससिणा गहियउ । faणामंकित भ्रमइ ससंकउ । जित्तई मेच्छेडलई सामरिसई । पुणु भउ जणियउं गंगाकूडहु |
जासु चक्कु रिउचक्कु णिसुंभइ जासु पुरोहु पुराइड पेच्छइ कागणि दिमणि ससि वि दुगंछइ छायs छत्तु तु विवरेरउ चम्मु चमू धरंतु अइभासइ मागहु वरतणु जेण पहासु वि जेण तिमीसकवाडु विहट्टिउ दिण्ण केर हिमवंतकुमारहु तर्हि अप्पणउं गाउं संणिहियउ तं तहिं दीसइ ण उण कलंकड विसहरउलई सविसहर व रिसई पायसेल किडहु
[ १६. १५. १६
१६. १. Mणम्हा । २. MBP गरुण ।
३. MB हउं मि हीणु । ४. MP जगेक्कु पहाणउ ।
५. MBPK माणु मरट्टु विसट्टु । ६. P परिवट्टहि and gloss परिघृष्टैः । ७. MBP पयंड । ८. MBP गुरुयणं ।
१७. १. MBP अइहासइ । २. MBP वसहइरिउ तीरहु । ३. MBP णामंकउ । ४. MBP मिच्छाउलई ।
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