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________________ ३६० महापुराण [१६.८.१ आरणालं-पुणरवि तेहिं गहिरयं सवणमहुरयं एरिसं पउत्तं । आणापसरधारणे धरणिकारणे पणविउं ण जत्तं ॥१॥ पिंडिखंडु महिखंडु महेप्पिणु किह पणविज्जइ माणु मुएप्पिणु । वक्कलणिवसणु कंदरमंदिरु वणहलभोयणु वर तं सुंदरु । वैर दालिद्दु सरीरहु दंडणु णेउ पुरिसहु अहिमाणविहंडणु। परपयरयधूसर किंकरसरि असुहाविणि णं पाउससिरिहरि । णिवपडिहारदंडसंघट्टणु को विसहइ करेण उरलोट्टणु । को जोयइ मुहुँ भूभंगालउ किं हरिसिउ कि रोसें कालउ । पहु आसण्णु लहइ धिटुत्तणु पविरलदसणु णिण्णेहत्तणु । मोणे° जडु भडु खंतिइ कायरु "अज्जवु पसु पंडियउ पलाविरु । अमुणियहिययचारुगरुयत्ते कलहसीलु भण्णइ सुहडत्त । महुरपयंपिरु चाडुयगारउ __ केम वि गुणि ण होइ सेवारउ | घत्ता-अइतिक्खहं धम्मगुणुज्झियह "वम्मवियारणवसणहं ॥ को बाणहं संमुहुँ थाइ रणे को महिवइधरि पिसुणहं ।।८।। आरणालं-अहवा तेहिं किं हयं जं समागयं दुल्लहं णरत्तं ।। तं जो विसयविसरसे घिवइ परवेसे तस्स कि बुहत्तं ॥११॥ कंचणकंडे जंदुउ विधइ मोत्तियदामें मंकैडु बंधइ। खीलयकारणि देउल मोडइ सुत्तणिमित्त दित्त मणि फोडइ । कप्पूरोयरुरुक्खु णिसुंभइ कोद्दवछत्तहु वइ पारंभइ । तिलखलु पयइ डहिवि चंदणतरु विसु गेण्हइ सप्पहु ढोयवि करु । पीयइ कसणई लोहियसुक्कई तकं विक्कइ सो माणिक्कई । जो मणुयत्तणु भोएं णासइ तेण वमाणु हीणु को सीसइ । चित्तु समत्तणि णेय णियत्तइ पुत्तु कलत्तु वित्तु संचिंतइ । मरइ रसणफंसणरसदड्ढउ मे मे मे करंतु जिह मेंढंउ । खज्जइ पलयकालसद्ले डज्झइ दुक्खहुयासणजाले । मंजरु कुंजरु महिसउ मंडलु __ होइ जीउ मक्कडु माहुंडलु । ८. १. B. omits धरणिकारणे; P महिहि कारणे । २. MBP वरि । ३. MBP वरि । ४. M दारिहु । ५. MBP ण हि । ६. MBP सिरि and a long note in M: यथा वर्षाकालनदी परः अन्यहीनस्थाना झिल्लरादिपयैः (?) मलिनै रजोभिः धूसरिता मलिना प्रवह ति हिरि अतिलज्जाकारिणी, तथा किंकरश्रीः शोभा परपदरजोभिः धूसरिता। ७. MBP असुहावणि । ८. MBP हिरि; K°हिरि but corrects it to हरि । ९. P भूसंगां । १०. MBP मउणें । ११. MBP अज्जउ । १२. KBP मम्म। ९. १. P°रसो । २. P परवसो । ३. MBP मक्कडु । ४. MBP दित्तमणि । ५. MBP कप्पूरायररुक्ख । ६. MBP अप्पइ पर। ७. M मिढउ; BP मेढउ । ८. MBP मंकडु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
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