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महापुराण
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उभियधरण | सरओरएण ।
गज्जियगड पडिगज्जियगएण" हिंसितुरंग सतुरंगएण अश्चंत सावर सावएण आसंधिउ पत्थि पत्थिवेण
पालियवरण |
विजयहु कण |
धत्ता - गिरि सोहइ दीहत्तणेण पुव्वावरसमुदु" संपत्तउ ॥ तिहिं तिहिं खंडहिं मेइणिहि मेरादंड व दइवें वित्त ॥१०॥
११
तर्हि अवसरि गुहदारहु दूरे आवासिउ गहणि सँडंगु बलु महिसउलमद्दर्केद्दविउ सरु आलुंखियाई पिक्कई फलई गोमंडलेहिं चि तणईं डावियाई कोइलकुलई ल्लिकई मुक्कई सयदलई मयवंदई रुंदई णिग्गयई सुत्त रत्ताई रँईहरहिं विकरहिं वियारिय विंझकरि घत्ता - वणसिरि उठवासिय सुरु एवहिं जणवरण णिरु णिवसइ || पेच्छिवि भरहाविणिवइ "कुंदपुप्फयंतहिं णं विहसइ ॥ ११ ॥
सुरतरुवरकर ढं कियेसूरें | करिदसणपहरकलुसियउ जलु । कम्मयरकुढारहिं छिण्ण तरु । गिल्लूरियाई सहलदलई । मुसुमूरियाई अंबयवणई । भयत सियई रसियई णाहलई । दसदिसु गयाई सडयणकुलई । तहि तेहि सहसा गयाई रमिहुई व वेल्लीहरहिं । डेहिं हि जति हरि ।
[ १२.१०.२४
इय महापुराणे तिसट्ठिमहा पुरिस गुणालंकारे महाकइपुप्फयंतविरहए महाभग्वभरहाणुमणिए महाकवे तिखंडवसुंधरापसाहणं णाम तेरहमो परिच्छेओ समत्तो ॥ १३ ॥
॥ संधि ॥ १३ ॥
१०. GK add after it उब्भूयधउ । ११. MBPT सतुरंगवयणु । १२. MB ११. १. MBP अवरगुहादा रहु सदूरि । २. MBP ढंकियइ सूरि । ३. MB सडंग । ४. MBP कद्दमिउं । ५. MBPK सुक्कई । ६. MBP सहसई । ७. MBP रईयरेहि । ८ MBP वल्लीहरेहि । ९. MB रुजंत; P रुजंति । १०. BPK पुप्फदंतहि ।
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