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________________ ३०६ महापुरान [१३.८७ जिह घरहं कबाडइंदिण्णाई तिह वजहखेवई दिग्णाई। जिह चंदें णियकरपसरु किउ विह पियकेसहिं करपसरु किउ । जिह कुवलयकुसुमई वियसियई तिह कीलियमिहुणई वियसियई। जिह पीयई पाणई महुराइं तिह अहरई महुरसमहुराई। जिह जिह गलंति जामिणिपहर तिह तिह विइण्ण मउरइपहर । जिह णहि सुकुग्गमु दरिसियउ तिह विडि सुक्कुंग्गमु दरिसियउ । घत्ता-ता चक्कउलहं पंकयहं तंबकिरणपूरियभुवणोयरु । विरयहं णरणारीयणहं जीविउ देतु समुग्गउ दिणयरु ॥॥ सिंधूसरिदारइ सुरहिसमीरइ सुरभवणे कोइलकुलकलयलि वियसियसयदलि रभवणे । उपवासु करेप्पिणु जिणु पणवेप्पिणु पीणमुउ गरवइ जयमायरु कयणियमायर रिसइंसुउ । जमभउंहाभावई चकई चावई जियरणई अहिअंचिवि दिव्वइं हयरिउगवई पहरणई। णं भूरिपहायर चंडु दिवायरु णहवडिउ । मणिगणवेयडियइ कंचणघडियइ रहिं चडिउ । पेरिय जोत्तारें हरि हुंकारें तिक्खमइ मणपवणमहाजव अमुणियखुररव गयणगइ । कयभडकडवंदंणु वाहियसंदणु चपलधर करिमयररउद्दहु लवणसमुबहु मज्झि गड। ता खंचिउँ रहवर भेसियजलयरु सलिलबहे जोयंति सुरासुर किंणर खेयर जक्ख णहे। राएं सुइसोक्खर णियणामस्वरभूसियउ . थिरु ठाणु णिबंधिवि सरु गुणि संधिवि पेसियउ। अवरण्णवणाहहु लच्छिसणाहहु पडिउ घरे तडिदंडु व भीसणु काणणणासणु गिरिसिहरे । सो णिवडिउ महियलि सहसा करयलि ढोइयउ सुरर्वइसंकासें बाणु पहासे जोइयउ । ता तम्मि विसिट्टई लिहियई दिदुई अक्खरइं णं मत्तावित्तई मत्ताजुत्तई णायरइं। ३. MRP खेमइं। ४. MB अवरई महरइं; M records ap महुरइं; for महरइं; P अहरई महुरई । ५. MP सुक्कग्गमु । ६. MP सुक्कग्गमु । ९. १. M चिकम; B चिकमइ । २. P°मद्दणु । ३. MBP धवलं । ४. MBP मज्झि समुद्दहु सो ज्जि - गउ । ५. MBP खंचियं । ६. MBP थक्क । ७. P गुणु। ८. MBPK सुरवरं । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
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