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हिन्दी अनुवाद
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प्रकार घरोंमें किवाड़ दे दिये गये थे, उसी प्रकार प्रियोंको आलिंगन दिये गये थे। जिस प्रकार चन्द्रमा अपनी किरणोंका प्रसार कर रहा था, उसी प्रकार प्रियाके केशोंमें करप्रसार किया जाता था । जिस प्रकार कुमुद कुसुम विकसित हो गये, उसी प्रकार कोड़ा करते हुए जोड़े विकसित थे । जिस प्रकार मधुर पानी पिया जाता था, उसी प्रकार मधुरसके समान मधुर अधर पिये जाते थे । जिस-जिस प्रकार रात्रिके प्रहर समाप्त हो रहे थे, उसी उसी प्रकार कोमल रतिके प्रहर भी बीत रहे थे । जिस प्रकार आकाशमें शुक्र नक्षत्र उगा हुआ दिखाई दे रहा था, उसी प्रकार विटमें शुक्र (वीर्य) का उद्गम दिखाई दे रहा था ।
घत्ता - तब चक्रकुलों, पंकजों और विरत नर-नारीजनोंको जीवनदान देता हुआ तथा अपनी रक्त किरणोंसे भुवनलोकको आपूरित करनेवाला सूर्य उदित हुआ || ८||
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सिन्धु नदीके द्वारपर सुरभित पवनवाले सुरभवनमें कोकिलकुलके कलकलसे पूर्णं तथा खिले हुए कमलदलवाले रम्भावनमें, उपवास कर और जिनकी वन्दना कर स्थूलबाहु विजयलक्ष्मीका सम्पादन करनेवाला, अपने ऐश्वयंको बढ़ानेवाला ऋषभपुत्र राजा भरत, यमकी भौंहों के समान भयंकर चक्र और युद्धको जीतनेवाले धनुष और शत्रुओंका गर्व हरण करनेवाले प्रहरणोंकी पूजा कर मणिसमूह जड़ित और स्वर्णनिर्मित रथपर इस प्रकार चढ़ गया मानो अत्यन्त प्रकाश फैलाता हुआ प्रचण्ड सूर्य आकाशमें आ पड़ा हो । जोतनेवालोंसे प्रेरित, हुंकारोंसे तीक्ष्णमति, मन और पवनके समान महावेगवाला, खुरोंके शब्दोंको नहीं गिननेवाला गगनगति, भटसमूहका मर्दन करनेवाला चपलध्वज, रथको भगाता हुआ अश्व, जलगज और मगरोंसे रौद्र लवण समुद्रके मध्य गया । तब जंलचरोंको भयभीत करता हुआ रथ जलपथमें स्थित हो गया । आकाशमें सुर, असुर, किन्नर, विद्याधर और यक्ष देखने लगे । राजाने कानोंके लिए सुखकर अपने नामाक्षरोंसे विभूषित तीर स्थिर स्थानको लक्ष्य बनाकर और डोरीपर चढ़ाकर प्रेषित किया। वह लक्ष्मीसे सनाथ पश्चिम समुद्रके घरमें जाकर इस प्रकार गिरा, जिस प्रकार वनका नाश करनेवाला भीषण विद्युद्दण्ड गिरिशिखरपर गिरा हो । धरतीपर पड़े हुए तीरको सहसा हाथमें ले लिया और इन्द्रके समान राजा प्रभासने बाणको देखा। तब उसमे उसमें लिखे हुए विशिष्ट अक्षरोंको
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