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संधि १३
सोहि माग सिमु णविवि पसिद्धसिद्धिणेयारहो ||
जीव धरणीसरो चलइ सिमिरं समुल्ललइ सुरसरिहरं कमइ हरिवयणलालाइ जणणियसंकेण चरणाई लिपति अइगरुयभारेण दसदिसिवहं भमइ इणि उरमइ कह कह व भरु सहइ
१ गरुडद्धओ घुलइ । धूली हे मिलइ | पडिबलई उवसमइ । करिदाणवेलाइ | तंबोलपकेण । हारेहिं गुप्पंति । सामंतचारेण ।
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पुलं मइ । विसवाणियं वमइ |
फणिपुंगमो तसइ
णरवइभुए वसई परणिवबलं गसइ वरवाहिणी चरइ
मउ मुयइ गइ महइ । लवण्णवो रसइ । रणजयसिरी हसइ | विसमत्थलिं कसइ । दुग्गं पिपइसरइ |
जलदुग्गमं तर इ
गिरिदुग्गमं समइ
भडथडहिं तुरहिं अमरेहिं खयरेहिं छवि वि संकमइ रायस्स वसि करइ
तरुदुग्गमं हरइ | गयणंगणं कमइ । संदर्णादि दुरएहिं । रिउवग्गखयरेहिं | अरिपत्थवे दमइ | अवसो भिसं रमँइ ।
MBP give, at the commencement of this Samdhi, the following stanza :
तीव्रापद्दिवसेषु बन्धुरहितेनैकेन तेजस्विना संतानक्रमतो गतापि हि रमा कृष्टा प्रभोः सेवया । यस्याचारपदं वदन्ति कवयः सौजन्यसत्यास्पदं
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हि भरहराउ गउ दाहिणदारहो ॥ ध्रुवकं ॥
सोऽयं श्रीभरतो जयत्यनुपमः काले कलौ सांप्रतम् ॥
GK do not give it.
१. १. P साहेप्पिणु । २. MB गहिवि समु; P महिवि समु । ३. P सुरसिहरि संकमइ । ४. MBP कह वि । ५. M दुग्गे पि । ६. MBP परपत्थिवे । ७. MBP मरइ; K रमइ, but writes above it मरइ |
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