SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 292
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०६ महापुराण को वि भणइ किं मूसउ चालहि महु मज्जारु एंतु ण णिहालहि । को वि भणइ मा वाहहि विसहरु पेक्खहि किं ण णउलु कररुहकरु । को वि भणइ भो सणियउ चल्लहि चलँउ रिंछु गवएण म पेल्लहि । को वि भणइ संकडि किं पइसहि सरहें महुं सारंगु म तासहि। को वि भणइ आवेहि संमिच्छउ । पूसउ पूसएण सहुं गच्छउ । मोर मोरु सवक्खीहूएं जाउ उलूवउ समउ उलूएं। को वि भणइ वेसाणरदूर वहउ वरुणु किं एत्थ वियारें। को वि भणइ मारुय तुहुं ओसरु मा भंजहि मेरउ जलहरतरु । को वि भणइ वोलउ आहंडलु पविरलतियसु होउ णहमंडलु । पच्छइ पुणु अम्हई जाएसहुं जिणचरणारविंदु पणवेसहुँ । घत्ता-काइ वि देविइ लइयउ करि णीलुप्पलु दीसइ ।। मउडुग्गयहिं सिएहिं ससिमणिकिरणहिं विहसइ ।।१९|| २० हेला-अवरा सुरविलासिणी गहियकुसुममाला। णं बालासरूविणी मयणसत्थसाला ॥११॥ . अवरेक्का वि सचंदण दीसइ णं मलयइरिणियंबवणासई । सोहइ अवर वि कुंकुमपिंडे पुत्वदिसा इव सिसुमत्तंडें । अवर सदप्पण णं मुणिवरमइ अवर मयरचिंधे सरि णं रइ । अक्खयधारिणि णं मोक्खहु सहि थणदुहडी णं सुहधणणिहि महि । अवर सुसेयदेह णं सुरसरि अवर सहसमोर णं गिरिदरि। मलविरहिय अवर वि विज्जा इव । अवर सुरहि पप्फुल्लियजाइ व । णच्चइ अवर सरसु भावालउ गायइ अवर कूडताणालउ । । वायइ अवर तंतिवजंतरु | वण्णइ अवर परमतित्थंकरु । एम पसण्णपसाहियवयणहि अच्छरकोडिहिं चलमृगणयणहिं । सोहम्माहिउ सत्तावीसहि ईसाणु वि परिमिउ चउवीसहि । एम देव संचल्लिय जावहिं धणएं समवसरणु किउ तावहिं । इंदाणइ तं णिम्मिउं जेहउ मई जडेण किं सीसइ तेहउ । घत्ता-बारहजोयणरुंदु हरिणीले तलु बद्धउ । परिवट्टलउ विसुद्ध धूलीसालउ णेद्धउ ॥२०॥ ६. MBP मज्जारउ । ७. MBP चरउ । ८. MB समुच्छउ; P सइमुच्छउ, but gloss सम्यगिच्छामि । ९. MBP अम्हइं पुणु । २०. १. MBP सुरूविणी। २. MB मलयगिरि। ३. MBPT add after this line : का वि गहियकत्थूरय ( P कत्थूरिय ) वररइ, सामलंगि णावइ घणघणतइ ( B घणवणतइ ); T also notes an: घणघणतइ ति पाठे निबिडमेघपंक्तिः। ४. MP तालालउ। ५. MBP°मिग। ६. B णट्ठउ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy