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________________ १५ २० ५ १० १५ १९२ जासु अबंभारंभं परिग्गहु धम्माभासु पाउ जो भावइ कत्थई मिच्छामग्गि पइट्ठउ सीले समत्तेण वि उज्झिउ सद्दहाणु णव पंचहुं सत्तहुँ ईसीसि विवउ जेण ण पालिउ मज्झिमु देसच रित्तालंकिउ "दूरुद्घयसप्पकंद पहिं भूसिड संचियसासय सोक्खहिं १२ उत्तमुपत्तु एड पणविज्जइ १४. घत्ता महापुराण सरइ कयाविण इंदियणिग्गहु | to वि अण्णायि कारावइ । कुच्छियपत्त रिसीसहिं सिट्ठउ" । हवइ अवत्तु सई जि मई बुज्झिउ । करइ पयाहुं जिणेसपवृत्तहुँ । तं जघण्णु मं पत्तु णिहालिउ । सम्मसणि कहिं मिण संकिउ । णाणचरियसम्मत्तवियप्पहिं । सीलगुणचिउरासी लक्खहिं । पासुयभो दिज्जइ । १५ 'कुच्छियवत्ति कुभोड दिष्णु अवत्तइ णासइ || "तहिं पत्तहिं फलु तिविहु इय सुंदरु आहासइ ||७|| Jain Education International ८ हेला - मज्झिमु मज्झिमेण अहमो अहमेण णेओ । उत्तम उत्तमेण दाणेण होइ भोओ ॥ १ ॥ णिल्लोहत्तें चाएं भत्तिइ एहिं गुणेहिं तु दायारउ मउलियकरयलु अइअवमत्तउ गुणवंत परलोयासत्तउ ठा भणिविपणवियसिरु भासइ करइ चाडु संतहुं घण्णउं जणु मणवयत सुद्धिइ सुद्धासणु भेसहु सत्थु अभदाणे सहुं बहिरंधलयहं मूयहं लल्लह सव्वभूयहियकारणे गणे परमारा पाविट्ठ मुएप्पिणु देइ ण जो घरत्थु सो केहउ यिडिंभउं णियपोट्टु जि पोसइ घत्ता - माणसु जं णिद्धम्मउ" तहिं उप्पेक्ख रइज्जइ ॥ १२ दुथियम्मि अणुकंप गुणवंत पणविज्जइ ||८|| खंमविण्णार्णे सुद्धइ भत्तिइँ । मज्झइ अलोयइ दारउ । अच्छइ तिविहपत्तगय चित्तउ । सो पडिगाहइ गणपत्तउ । उच्चठाणि गउरविइ णिवेसइ । चरणधुवणु अञ्चणु पुणु पणमणु । देइ भरंतु जिदिहु सासणु । देइ सजीव चलु भण्णिवि लहु । काकुं मंहं वाल्लिहं । असणु वसणु दीण कारुण्णें । freeoवाणुसार सुयेरेप्पिणु । घरयारउ चिडउल्लउ जेहउ । मुवण जाणहुं कहिं जाएसइ । ९. MB रंभु परिग्गहु | १०. MP दिउ । ११. MBP जहष्णु । १२. MBP दूरुज्झिय । १३. MB फासूय । १४. MB कुच्छियपत्ति । १५. MBP तिहि । ८. १. M णओ; BP णाओ । २. MBP खमविण्णाणइ सद्धइ भत्तिइ । ३. MBP add after this [ ९.७.१२ . सीलवंतु जिणपेसणयारउ सारासारसख्ववियारउ । ४. MBP अवलोयइ दारउ । ५. T अपमत्तउ । ६. MP पंगणु पत्तउ; B पंगणे पत्तउ | ७. MBP ठाहु । ८. MBP कारणगण्णे । ९. MB सुमप्पणु । १०. MBP णिर्याडभई । ११. MBP गिद्धम्मु । १२. MBPK दुत्थियम्मि । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
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