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[८.५.८
महापुराण आया तहिं जहिं णिम्मुक्कडंभु थिउ पडिमाजोएं सई सयंमु । पासहिं परिभमिवि महारिजूर णं जंबूदीवहु चंदसूर। णामें णमि विणमि णिबद्धणेह णं सिहरिहि णियैडणिसण्ण मेह । जयकारिवि तेहिं पवुत्तु एव णियसुयहं विहंजिवि पुहइ देव । दिण्णी अम्हहुं दिण्णउ ण किं वि महिमंडलु गोप्पयमेत्त जंपि । पई पालियखत्तियसासणेण पेसणयरपेसियपेसणेण । एवहिं पञ्चुत्तरु किं ण देसि भणु कवणु दोसु गुणरयणरासि । परमेहि पियामह तिर्जगताय अम्हारउ दुछु ण होइ राय । पत्ता-तुह चलणहं णं णवणलिणहं मणमहुयरु रुणुरुंटइ।
उम्मेलहि काई ण बोल्लहि जाम ण हियवउ फुट्टइ ।।५।।
आवली-पुणु पुणु पहुपसायदाणुग्गमे रया
पाएसुं पडंति गाढं कुमारया। सोहइ गुरुयणम्मि कयमाणवज्जणं
गिरिवरदारणम्मि करिदसणभंजणं ॥१॥ रयणमयमइंदासणसमेउ
पोमावइपरमाणंदहेउ। जिणपुण्णपवणपरिछित्तकाउ तहिं अवसरि कंपिउ णायराउ । णियणाणु पउंजिवि तेण मुणिउं जं साल एहिं जिणु पुरउ भणिउं । मग्गंति बाल किं भुअणभाणु जइ देइ देई ता तिजगदाणु । पर तेण विमुक्कु घरत्थकम्मु पारद्धउ विमलु सुणिंदधम्मु । सामंतमंतिसेविउ गरेसु
महिवइ संतोसिउ देइ देसु। देसवइ गामु गामवइ छेत्तु छेत्तवइ कि पि कुडएण भत्तु । घरवइ पुणु ढोवइ करमुहि तिहुयणवइ पाडइ पयहिं सिट्ठि । जइ पत्थिज्जइ ता को वि गरुउ लहुपत्थणाइ पर होइ चरुउ । लइ कयउ कुमारहिं जुत्तु साहु सो पत्थिउ जो तेलोकणाहु । सो पत्थिउ जसु जसु जगपयासु सो पत्थिउ जसु सुरवइ वि दासु । घत्ता-णिञ्चलमण समतणकंचण
मतणकंचण जेण वित्तु पडिवण्णउ ।। मोक्खत्थिउ सो जं पत्थिउ तं हर करमि अँसुण्णउं ।।६।।
आवली–णरलोयम्मि ते हमिह खोहकारणं
जायं किं भवामि सुकयावयारणं । अचवंता वि देति तरुणो महाहलं
सुपुरिसदसणं पि ण हु होइ णिप्फलं ॥११॥ ५. P "णिमुक्क। ६. MBP णियडणिविट्ठ। ७. MBP पणवेप्पिणु । ८. M तिजगभाय । ६. १. MBP सुंदरेहिं जिणपुरउ । २. MBP देउ । ३. P खेत्तु । ४. P खेत्तवइ । ५. MB कुलएण; ___P कुडएण in cecond hand । ६. MB तइलोक्क । ७. MBP ण सुण्णउं । ७. १. MBP भणेमि ।
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