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महापुराण कंचणकुंभसहासहिं सित्तउ देससयट्टलक्खणसंजुत्तउ। सण्हउँ तिहुयणसामिहि जोग्गउ किं वणिज्जइ अंगि व लग्गउ । ढोइउ णिवसणु मुणु पंगुरण तणुतावइ णं णाणावरणउं । भूसणाई दिण्णाई ण मण्णइ मोहणिबंधणाई अवगण्णइ । संतहु किह रुच्चंति रसोल्लई वम्महपहरणाई फुडु फुल्लई। होउ पहुच्चइ संभावइ जिणु ___ मलविलेवसारिच्छु विलेवणु। घत्ता-पज्जलियपईवडं ससिरविभावहुं धूयंगारयधूमउ ।
णिग्गंतउ दीसइ सुकइ समासइ णं मलपडलविलेउ ॥२३॥
२४ खंडयं-दहिदूवंकुरचंदणं सियसिद्धत्थयचंदणं ।
वंदिवि मयणवियारओ ‘सिवियारूढ भडारओ ॥१॥ सत्त पयाई जाम जयवंदहि पढमुच्चाइय सिविय परिंदहि । तेत्तियइं जि भावेण णवंतहिं वरविज्जाहरेहिं विहसंतहिं । उट्ठियदेवमहाकुलकलयलि पुणु वंदारएहिं णिय णहयलि । चल्लिउ अणुमग्गे सियसेविइ णाहिणराहिउ सहुँ मरुएविइ । आरणालणवदलललियंगउ जसवइणंदउ पच्छइ लग्गउ । दोणि वि णावइ मोहणवेल्लिउ णं कामेण विमुक्कउ भल्लिउ । पियविच्छोयसोयखिज्जंतउ णयणंजणमलइलिज्जंतउ। वरकंचीकलावगुप्पंतउ
तणुपासेयबिंदुथिप्पंतठ । तुरिउ चलंतु खेलंतु विसंठुलु णीससंतु चलमोक्कलकोंतलु । घणथणजुयलणिवेसियकरयलु णिव.माणअणिहालियमेहलु । पयचालणझंकारियणेउरु
धाइउ णिरवसेसु अंतेउरु । एकवार णिउ णिब्भरभावहिं मंदरि ण्हाणिवि आणिउ देवहिं । पुणु तेण जि कमेण आवेसइ गैरवइ एत्थु जि पुरि णिवसेसइ । घत्ता-पउरयणे वुत्तउ मुणिउ णिरुत्तर एवहिं दुक्कर आवइ ।।
जैडमइलकुचेली धरणिमहेली गाहें विणु किह जीवइ ॥२४॥
१.
खंडयं-भरहबाहुबलिसंणिहं गलियंसुयधारामुहं ।
चलियं चोइयहयगयं एकूणं णंदणसयं ॥१॥ पराइओ जिणेसरो घणंबणालयं सुपोमसंपयाजेसोधणं वणालयं । विसौलवेल्लिजालरुद्धभाणुभावह महामुणिंदजोग्गयं सपावभावहं । ५. MBP दह । ६. P विलग्गउ । ७. MBP किं । ८. M°विलेविउ । २४. १. M दूवंकुरु वंदणं; BPK दूवंकुरवंदणं । २. M वसंतु व संबुलु; B खलंतु व संठुलु । ३. M णिवड___ माणु; P णिविडमाणु । ४. MP परवइ इत्थ णयरि; B णरवइत्थ णयरे । ५. MP जड; B जर। २५. १. P°पसोहणं । २. P विलासवेल्लिं ।
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