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________________ ७.२३.६] हिन्दी अनुवाद १५१ साथ बाँध दिया गया। उरतलपर सुन्दर ब्रह्मसूत्र (यज्ञोपवीत) चढ़ा दिया गया। तिलक तीसरे नेत्रके समान दिखाई दिया। सिंह, हाथी, चन्द्रमा और सूर्यके रूपोंसे निबद्ध विमल चिह्न (कुलचिह्न) उठा लिये गये। मलसे रहित धवल छत्र ऐसे प्रतीत होते थे, मानो जिनेन्द्रको कीर्तिरूपी कमलिनीके कमल हों । मदगज, लक्षणोंवाले घोड़े, ग्रह और विचक्षण कानीन ( कन्यापुत्र ) पूजे गये। . घत्ता-स्वामीके इन अनुराग चिह्नों और आशीर्वाद वचनोंके निर्घोषोंके साथ राजाओंने पट्ट ऊंचा किया और पृथ्वीके राजा श्री भरतकुमारको बांध दिया ॥२१॥ २२ विश्वके द्वारा प्रशंसित तथा सिंहासनके शिखरपर आसीन वह ऐसा शोभित होता है जैसे पर्वत शिखरपर अयाल हिलाता हुआ सिंह हो। जिसमें दसों दिशाओंके देव आये हुए हैं ऐसा विशाल आकाश उस अवसरपर ऐसा लगता था, मानो अनेक विमानोंके भारसे झुक गया हो। ध्वजपटोंसे मानो पल्लवित हो उठा हो, फूलोंसे खिला हुआ आतपत्र हो, मानो तरुणीजनके स्तनोंरूपी फलोंसे अवनत हो। जिसमें मत्स्य, हंस और चातकगण स्थित हैं ऐसा आकाश, जिनवरके पुण्यरूपी महासमुद्रके समान दिखाई देता है। वह मानो दौड़ते हुए अश्वोंसे दौड़ता है, स्यन्दनों (रथों) द्वारा सूर्योंसे भरा हुआ जान पड़ता है, हाथियोंके द्वारा मेघोंसे आच्छादित और तलवारोंके द्वारा बिजलियोंसे चमकता हुआ, हरी और लाल कान्तियोंके द्वारा, इन्द्रधनुष के समान जान पड़ता है, जो मानो नवपावसके गुणको धारण करना चाहता है। इस प्रकार देव विविध लीलाओंके साथ वहां पहुंचे जहां, सभाको रंजित करनेवाले सबके नाथ महाप्रभु ऋषभनाथ बैठे हुए थे। पत्ता-ऋषभ जिनवर ( जो विष्णु, केशव, सिद्धबुद्ध, शिव और सूर्य हैं ) स्वर्ण रचित एवं रत्नजड़ित पट्टपर आसीन थे ॥२२॥ २३ किसीने गम्भीर वाद्य बजाया, किसीने मधुर गान गाया। किसीने सरस नृत्य किया, और प्रभुके चरणकमलोंकी पूजा की। देवस्त्रियोंके हाथों में धारण किये गये घी, दूध और दहीसे शरीरका स्नान कराया गया। इन्द्र, अग्नि, नैऋत्य और यम, वरुण, कुबेर, त्रिशूल धारण करनेवाले शिव, सूर्य, नागेन्द्र, चन्द्र तथा महाआनन्दसे भरे हुए राजाओंके द्वारा, मुखोंसे निकलते हुए स्तोत्रोंके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
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