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महापुराण
[७. १८.८ संजयसाहुसंगसोहियमलि भवि भवि होउ जम्मु सावयकुलि । रँयमूढह संबोहणगारा
भवि भवि रिसि गुरु होंतु भडारा । दीणि करुण उप्पेक्ख दयंतइ भवि भवि रइ वड्डउ गुणवंतइ । वयजोग्गउ सरीरु संपज्जउ
भवि भवि तवसिहितावें झिजउ । धणु परियणु पुरु घरु मा ढुक्कउ भवि भवि उरि उवसमसिरि थक्कउँ । ण रमउ णारिंरूवि हियउल्लउ भवि भवि हवउ णिरहु णीसल्लउ । ओसारियदहपंचपमाएं
भवि भवि दियह जंतु सज्झाएं। दसणणाणचरित्तपयासे
भवि भवि मरणु' होउ संणासें। घत्ता-लद्धाइ समाहिइ भवि भवि वोहिइ जीवउ जीउ विरत्तउ ॥
संसारुत्तरणई जिणवरचरणइं भवि भवि मणि सुमरंतउ ॥१८॥
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खंडयं-इय जो चिंतइ णियमणे अणुवेक्खाओ थिउ वणे ।
मोत्तूणं भवसंपयं सो पावइ परमं पयं ॥१॥ महु पुणु सरणउं सिद्ध भडारा दकिम्मीरकम्मविणिवारा। अक्खसोक्खयुक्खे णिरु णिच्छिहँ भवसिप्पीरभारहुयवहसिह । इय चिंतंति वहति समत्तणु पउणंती रइभूमिणियत्तणु। सकें जिणमइ जाणिय जावहिं लोयंतिय संपाइय तावहिं । बंभसग्गलोयंतकयालय
देहकतिदीवियदिप्पालय। पुव्वजम्मकयधम्मपहावण
अणुदिणु संभाविय सुहभावण । घल्लियकुसुमंजलिकेसर्ररय
रयमहुयरउलसवलियपहुपय । ते भणंति भावे मउलियकर जय देवाहिदेव परमेसर । पई ण मुणिउं जं तं किर केहउ किं गिरि किं परमाणुउ जेहउ । सुसिरु अणंतु तिलोयणिवासउ किं आयासु अलक्खपएसउ । जीउ कम्मु पोग्गल वित्थिण्णउ भणु तुह णाणे काई ण भिण्णउ । तुहुं"सईभुससमाहि विसुद्धउ चारु चारु जं सई पडिबुद्धउ । इंदियपाणासंजमु छंडिवि अप्पउ सीलगुणोहें मंडिवि । घत्ता-उप्पाइवि केवलु अवियलु गयमलु तच्चु सुसच्चउ अक्खहि ॥
पायालि पडतउ पलयहु जंतउ मुवणु भडारा रक्खहि ।।१९।।
५. B°साहुसंगि । ६. MBP जम्मु होउ । ७. MBP रइमूढहु; T रयमूढहो । ८. MBP उप्पज्जउ ।
९. M थक्किउ । १०. MBP होउ । ११. MK मरण । १९. १. B परमप्पयं । २. P दिढं । ३. MBP पिक्खइ । ४. M णिप्पिह । ५. MBPT चित्तंति, gloss
in MT हृदयमध्ये, but in P चिन्तयति सति । ६. B संपावियभाविहिं; P संपाइय ताविहिं। ७. MBP दिव्वालय and gloss in MP दीप्तविमानाः; but T दिप्पालय दशदिक्पालाः । ८. P 'केसरिरय । ९. MBP परिमाणुउ । १०. BP पोग्गल । ११. MBP सयंभु । १२. MBP सुसमाहि।
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