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________________ १२४ महापुराण [६.७.१० आवाहियमोहियजगविलउ | हिंदोलउ चउभासाणिलउ । मालविकेसिउ छहि बुकियउ अवराहिं मि दोहिं मि अंकियउ। सुद्धउ सज्जु वि सत्तहिं कलिउ ककुहु मि तिहिं भासहिं संवलिउ । घत्ता-सुविहासहिं सरसहिं विहिं सहिउ सो गाइउ सुइलीणउ । मणहरियउ किरियउ दाघियउ जहिं परिगयपरिमाणउ ।।७।। मलयविलसिया-दह चउगणिया संखा भणिया। भासाणं सा छह वि विहासा ॥१॥ भणियउ रंजियबुहयणमणउ एयारह दहवर मुच्छणउ । एक्कुणवण्णास वि ताण जहिं . किं वण्णमि गेयारंभु तहिं । संजोय ताण बहुदिण्णरस णीलंजस णञ्चइ विमलजस । भणु कासु ण सा दिहिहि भरइ णचंती जणहियवउ हरइ । तेरह विहु सीसु पणच्चियउ छत्तीस दिहि परियंचियउ । णवतारउ परिपालियरइउ अट्ठ वि रइयउ दंसणगइउ । तेत्तियविहु पुणरवि भावियउ । णंदप्पयारु फुडु दावियउ। भू सत्तभेय परहिययहर छविह णासा कवोल अहर । सत्तविहु चिबुडे चउ मुहहु राय णव गल चउसहि वि करण भाय । सोलहविहु तिविहु चउविहु वि किउ करणमग्गु भुउ दहविहु वि । उरु सरविहु पासजुयलु तिविहु पोटटु वि पायडियउ तं तिविहु । कडियलु जंघा कमकमलाई तविहई जि णिहियई विमलाई। सउ करणहं वसुसंखाहियउ चलवत्तीसंगहारमियउ। चउ रेयय णडगुरुकित्तिधय सत्तारह पिंडीबंध कय । चारिउ सोलस दुअसंखियउ णचियउ जियक्खहिं अक्खियउ । वीस वि मंडलई पंयासियई ठाणाई तिणि संदरिसियई। पत्ता-संचरियहिं धरियहिं थाइयहिं भावहिं णडइ अणेयहिं ।। भीसाइहिं जाइहिं णवरसहिं दावियणाणाभेयहिं ।।८।। मलयविलसिया-वियलियहरिसं स हि णवमरसं। झत्ति धरती दिट्ठ मरती ॥१॥ जिणणाहें सा णीलंजसिय णं केण वि चित्ति कंदप्पति णं पंमुसिय लायण्णतरंगिणि णं सुसिय। णं खणि विद्धंसिय रइहि पुरि णं हय जणणयणणिवाससिरि।। ८. १. MT विउउ; B चिवउ; GK चिउबु । २. M पसासियइं; P पसाहियई। ३. MBP आइहि । ४. K हासाइहिं । ९. १. MB फुसिय । २. MBP पयपुसिय । ३. MB सुसुय । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
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