SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १५ १० ११० महापुराण दिट्ठदो अवसें असमेहलु तुंगपयोहरविलुलियघणघण सिंचिय तेहिं णाई मइ सीसइ इरुवें जगणारिहि सुंदरि घत्ता - एकुत्तरु रणदुद्धरु सउ तणयहं भावें णमसिद्धं पभणेपणु दोहिं मिणिम्मलकंचणवण्णह अत्थें सद्देण वि सोहिल्लाउ सक्कउ पायउ पुणु अवहंसर सत्यकलासित संग्गणिबद्धर अणिबद्धर गाहाइड अक्खिड बसई वक्खाणिउं जं जिह • सुयहं महंतु कहंतु अणेयई एम भडारड अच्छइ जइयहुं मज्झु अमज्झत्थु व हुउ दुब्बलु । चलहाराव लिमोत्तिय जलकण । रोमराइ णववेल्लि व दीसइ । जाणविताएं कोक्किय सुंदरि । दुइ धूर्येउ ॥ कसेट्ठिहिं परमेट्ठिहिं जायउ अणुवमरूवउ ||१७|| Jain Education International १८ रचिता – जयवइजणणचरणमूलम्मि महारिउवंदे महणा बहुसुयणियरधरणपरिणयमइ जाया सयलणंदणा ||१|| दाहिणवामकरेहिं लिहेप्पिणु । अक्खरगणियई कहियई कण्णहं । दु अगदुदुवहु कव्वुल्लउ । वित्तउ उप्पाइड सपसंसउ । गाउ अक्खाइय हरिद्धउ । गेयवर्जे लक्खणु वि णिरिक्खिउ । कुंअरीजुयलें बुज्झितं तिह । विण्णाण णाण बहुभेयई । भग्गी पय दुक्काले तइयहुं । घन्ता - अविवेश्य घरु आइय चवइ चिणेण णिरिक्खिय || पहु दहविह सुरमहिरुह अवसप्पिणियइ भक्खिय ||१८|| १९ रचिता — सय महवियडमउडतडमणिगणवियलियविमलवारिणा । कमलजुल परमेसर पई मि महारिवारिणा ||१|| कप्पंधिवविणासि संहारहु जिuri अंबराई मलम लिई तणु लायण्णु वण्णु परिल्हसियउ लग्गणखंभु अण्णु को अम्हीं असणवसणभूसण संपत्तिहि णिहिलकलाविसेससर्पैत्तिहि तं णिसुणेवि जायकारुण्णें उ परिरक्खिय भुक्खामारहु । कालें विहडियाई आहरणई । जढरहुयासें रुहिरु वि सुसियउ । सिर पट्ठा तुम्हहं । भवणजाणसयणासणजुत्ति हि । करि णिचित असेस हि वित्तिहि । देवें परणाण संपणें । ३. Bताइएं । ४. MBP घीयउ । १८. १. MBP विद । २. MBP सग्गि णिबंद्धउ । ३. MBP कहरुद्ध उ । ४. MBP गेयवज्जु लक्खणु । [५.१७.१२ ५. MBP कुमरी । १९. १. MBP दारिणा । २. MB संघारदु but PGKT संहारहु । ३. MBP को वि ण उ अम्हहं । ४. K णिप्फत्तिहि । ५. P णिच्चंत । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002722
Book TitleMahapurana Part 1
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1979
Total Pages560
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy